यूपी में जल्द फिर होगी भाजपा की एक और बड़ी परीक्षा, 16 सीटों पर हों सकते हैं उपचुनाव

BJP will soon face another big test in UP, by-elections may be held on 16 seats
BJP will soon face another big test in UP, by-elections may be held on 16 seats
इस खबर को शेयर करें

लखनऊ: हालिया लोकसभा चुनाव में लक्ष्य से चूकी भाजपा को जल्द फिर बड़ा इम्तिहान देना होगा। यह परीक्षा प्रदेश में विधानसभा सीटों पर शीघ्र होने वाले उपचुनावों में होगी। सरकार से लेकर संगठन तक एक बार फिर कसौटी पर होगा। यदि समाजवादी पार्टी अपने छह बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कराने में सफल रही तो यह उपचुनाव 16 सीटों पर होंगे। इनमें से 11 सीटें अभी सपा के पास हैं जबकि एनडीए के पांच विधायक अब सांसद बन चुके हैं, जिनमें चार भाजपा के हैं। इसी तरह सपा के भी अखिलेश यादव सहित चार विधायक सांसद चुने गए हैं।

लोकसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी इंडिया गठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग में उलझी भाजपा के सामने फिर नई चुनौती है। एक ओर लोकसभा चुनाव के नतीजों से विपक्षी गठबंधन खासतौर से सपा बेहद उत्साहित है। 37 लोकसभा सीटें जीतकर यूपी में पहले और देश में तीसरे नंबर की पार्टी बनीं सपा अब 2027 को लेकर ख्वाब संजोने में जुट गई है। हालांकि लोकसभा और विधानसभा चुनावों से जुड़े मुद्दे और वोटिंग पैटर्न बिल्कुल अलग है। वहीं भाजपा के पास अपनी कमियों को दूर करने के लिए पर्याप्त समय भी है। मगर उपचुनाव वाला सेमी फाइनल जल्द होना है। ऐसे में संगठन से लेकर सरकार तक सबको चुनावी हार की निराशा से बाहर निकल, नये सिरे से बिसात बिछानी होगी। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती सामाजिक समीकरण साधने की होगी।

सांसद बने विधायक छोड़ेंगे अपनी सीटें

दरअसल इस लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन से कुल 14 विधायक मैदान में थे। इनमें से नौ विधायक सांसद बन चुके हैं। भाजपा और एनडीए से जीतने वालों में अलीगढ़ की खैर सीट से विधायक अनूप प्रधान वाल्मीकि, गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग, फूलपुर से प्रवीन पटेल और मझवां के विधायक विनोद बिंद के अलावा रालोद के मीरापुर से विधायक चंदन चौहान अब बिजनौर के सांसद बन गए हैं। वहीं सपा की ओर से करहल के विधायक और सपा मुखिया अखिलेश यादव, मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से विधायक जियार्उरहमान बर्क, मिल्कीपुर से विधायक अवधेश प्रसाद और कटेहरी से सपा विधायक लालजी वर्मा भी लोकसभा पहुंच गए हैं। वहीं कानपुर के सपा विधायक इरफान सोलंकी को सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधायक भी खतरे में है। ऐसे में उस सीट पर भी उपचुनाव होंगे।

छह बागी विधायकों के सियासी भविष्य पर असमंजस

इसके अलावा सपा अपने छह विधायकों की सदस्यता खत्म कराना चाहती है। इनमें मनोज पांडेय, राकेश पांडेय, अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, विनोद चर्तुवेदी, पूजा पाल शामिल हैं। खास बात यह है कि इन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में तो सपा से बगावत कर भाजपा की मदद कर दी, मगर लोकसभा चुनाव में इनमें से कोई काम न आ सका। ऐसे में इन विधायकों की सियासत पर फिलहाल असमंजस के बादल हैं। यदि अखिलेश यादव जैसा कह रहे हैं, उसे अमलीजामा पहनाते हैं तो इन विधायकों की सीटों पर भी अगले छह माह के भीतर उपचुनाव कराने होंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि यदि उन सीटों पर भाजपा इन्हीं विधायकों को प्रत्याशी बनाती है तो इनमें से कौन-कौन अपनी सीट बचाने में कामयाब हो पाएगा।

हालिया उपचुनाव में भाजपा ने एक सीट गंवाई

लोकसभा के साथ प्रदेश की चार विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव हुए थे। इनमें से तीन सीटें भाजपा और एक सपा के पास थी। मगर उपचुनावों में सपा ने एक सीट भाजपा से छीन ली। लखनऊ की पूर्वी, शाहजहांपुर की ददरौल और सोनभद्र की दुद्धी सीटें भाजपा के पास थीं जबकि बलरामपुर की गैंसड़ी सीट सपा के खाते में थी। मगर हालिया उपचुनावों में गैंसड़ी फिर जीतने के साथ सपा ने दुद्धी सीट भी भाजपा से छीन ली थी। ऐसे में भाजपा और सपा को दो-दो सीटें मिली थीं।