दीदी बोल कैब में बैठाया, फिर कर दिया कांड…दो दिन तक TV पर देखता रहा उसी के कत्ल की न्यूज

Calling her sister, he made her sit in the cab, then committed the crime… I kept watching the news of her murder on TV for two days
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13 दिसंबर 2005… कर्नाटक का बेंगलुरु शहर…28 साल की प्रतिभा मूर्ति (Prathibha Murthy) मल्टीनेशनल कंपनी HP ग्लोबल सॉफ्ट के बीपीओ में काम करती थी. प्रतिभा की अक्सर नाइट शिफ्ट होती थी. रात 2 बजे प्रतिभा को ऑफिस पहुंचना होता था. इसके लिए उसे पहले घर में ऑफिस की ही कैब लेने आती थी.13 दिसंबर सुबह 2 बजे भी ड्राइवर का कॉल (Cab Driver) आया और प्रतिभा ऑफिस के लिए निकल गई. वो हमेशा ऑफिस पहुंचकर मां को एक मैसेज जरूर करती थी. लेकिन इस रात को उसने अपनी मां को कोई मैसेज नहीं किया. सुबह हो गई प्रतिभा घर भी नहीं लौटी. मां परेशान हुईं तो उन्होंने ऑफिस में प्रतिभा के बारे में फोन करके उसके बारे में पूछा.

ऑफिस वालों ने कहा कि प्रतिभा तो ऑफिस आई ही नहीं है. यह सुनते ही प्रतिभा की मां के होश उड़ गए. उन्होंने बताया कि ऑफिस का ड्राइवर खुद प्रतिभा को लेने आया था. ऑफिस वालों ने फिर ड्राइवर की लिस्ट निकाली. उसमें ड्राइवर विशाल का नाम था. वही रात को प्रतिभा को लेने के लिए गया था. जब विशाल से पूछा गया तो उसने बताया कि वो प्रतिभा को लेने गया तो था. लेकिन उससे पहले ही ऑफिस का कोई और ड्राइवर प्रतिभा को ऑफिस लेकर निकल चुका था. यह सुनते ही ऑफिस वाले भी हैरान रह गए कि जब विशाल की ड्यूटी थी को दूसरा कौन सा ड्राइवर प्रतिभा का पिक-अप कर सकता है. सबसे पूछा गया. लेकिन हर ड्राइवर का यही जवाब था कि उन्होंने प्रतिभा का पिक-अप नहीं किया.

क्राइम ब्रांच ने शुरू की जांच

उधर प्रतिभा की मां ने अपने दामाद से भी पूछा. दामाद दूसरे शहर में जॉब करता था. जबकि, प्रतिभा बेंगलुरु में जॉब करती थी. दामाद ने कहा कि उसकी भी प्रतिभा से रात को ही बात हुई थी. उसने बताया था कि वो ऑफिस के लिए निकल रही है. उसके बाद उसकी प्रतिभा से कोई बात नहीं हुई. मामला पुलिस तक पहुंचा. साथ ही मीडिया में भी उछला. इस वजह से इस केस को 13 दिसंबर 2005 को ही क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया.

क्राइम ब्रांच ने भी फिर तफ्तीश शुरू की. सबसे पहले प्रतिभा की कॉल डिटेल खंगाली गई. इसमें लास्ट कॉल शिव कुमार नामक शख्स की थी. प्रतिभा के ऑफिस में इसके बारे में पूछा गया तो पता चला कि वो इसी कंपनी का ड्राइवर है. उसने कई बार प्रतिभा का पिक-अप किया था. लेकिन घटना वाले दिन तो वो छुट्टी पर था. सवाल उठा कि अगर उस रोज शिव कुमार छुट्टी पर था तो उसके प्रतिभा का पिक-अप क्यों किया? क्राइम ब्रांच का शक फिर शिव कुमार पर गया. उसकी कॉल डिटेल निकाली गई तो उसमें भी पता चला कि उसने लास्ट प्रतिभा को ही की थी.

घर में टीवी देख रहा था ड्राइवर

पुलिस ने फिर उसका एड्रेस निकलवाया. पुलिस ने उसके बेंगलुरु वाले घर की बजाय उसके गांव का एड्रेस निकलवाया. उन्हें लगा कि वो वारदात को अंजाम देने के बाद जरूर अपने गांव में गया होगा. लेकिन पुलिस को वो गांव में नहीं मिला. उसकी पत्नी गर्भवती थी. इसलिए वो तो मायके में थी. पुलिस ने शिव कुमार का पता लगाने की कोशिश की कि आखिर वो है कहां. लेकिन कहीं से भी उसका कुछ भी पता नहीं लग पाया. 14 दिसंबर को पुलिस ने सोचा कि क्यों न उसके बेंगलुरु वाले घर में जाकर देखा जाए. जब पुलिस उसके घर पहुंची तो वो हैरान रह गई. घर का दरवाजा खुद शिव कुमार ने खोला. यही नहीं अंदर टीवी चल रहा था. उसमें प्रतिभा के लापता होने की ही खबर भी चल रही थी, जिसे शिव कुमार देख रहा था.

पुलिस उसे पूछताछ के लिए साथ लेकर गई. शिव कुमार ने कहा कि दीदी के लापता होने में मेरा कोई हाथ नहीं है. मैं तो दो दिन से घर पर ही हूं. अगर मैंने कुछ किया होता तो मैं कबका भाग चुका होता. पुलिस ने उसे खूब तोड़ा लेकिन शिव कुमार अपने बयान पर कायम रहा. बस यही कहता रहा कि उसने कुछ नहीं किया है. अगले दिन यानि 15 दिसंबर को पुलिस ने उससे फिर पूछताछ की. लेकिन आराम से. कहा कि हम जानते हैं तुमने ही प्रतिभा के साथ कुछ किया है. अगर तुम अपना गुनाह कबूल कर लेते हो तो हम तुम्हारी सजा कम करवा देंगे. काफी सोचने के बाद शिव कुमार ने कहा कि 13 दिसंबर को अल सुबह दो बजे उसी ने प्रतिभा को कॉल किया था.

आरोपी ने कबूला जुर्म

16 दिसंबर को फिर शिव कुमार पुलिस को कनकपुरा रोड पर स्थित अंजनापुरा बीडीए लेआउट इलाके पर ले गया. यह बेंगलुरु का आउटर इलाका है. उसने वहां एक नाले की तरफ इशारा किया. पुलिस को फिर यहां से शव मिला जिसे उन्होंने अस्पताल पहुंचाया. प्रतिभा की मां को शिनाख्त के लिए बुलाया गया. उन्होंने बेटी के शव की पहचान की. इसके बाद पोस्टमार्टम हुआ. पता चला कि प्रतिभा के साथ रेप हुआ था. इसके बाद गला रेतकर उसकी हत्या कर दी गई.

कैब में सिक्योरिटी गार्ड कर दिया जरूरी

मीडिया के जरिए जब यह खबर लोगों तक पहुंची तो वहां खूब हंगामा हुआ. लोग महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाने लगे. आरोपी को फांसी दिलवाने की भी मांग करने लगे. इसी के बाद से बेंगलुरु में हर कंपनी की कैब में एक सिक्योरिटी गार्ड रखना जरूरी कर दिया गया. उधर, शिव कुमार ने पुलिस को बताया कि उस दिन वह प्रतिभा को लेने पहुंचा. लेकिन प्रतिभा ने कहा कि भैया मेरे पिक-अप के लिए विशाल की ड्यूटी लगी है. तब शिव कुमार ने कहा कि विशाल छुट्टी पर है. इसलिए वो उसे लेने आया है.

प्रतिभा, शिव कुमार को पहले से ही जानती थी. इसलिए बिना हिचकिचाए उसकी कैब में बैठ गई. उसमें बैठते ही प्रतिभा को नींद आ गई. जैसे ही बीच रास्ते प्रतिभा की नींद टूटी तो उसने शिव कुमार से कहा कि भैया ये कहां लेकर आ गए आप कैब को. ये ऑफिस का रास्ता तो नही

ं है. तब शिव कुमार ने कहा कि दीदी एक और पिक-अप भी है. इसलिए दूसरी जगह जा रहे हैं. प्रतिभा मान गई. लेकिन सुनसान रास्ते में शिव कुमार ने कार रोकी. प्रतिभा को चाकू दिखाया, कहा कि चिल्लाना मत. नहीं तो मार डालूंगा.

पुलिस ने बरती लापरवाही

इतने में ही वहां से बेंगलुरु पुलिस की पीसीआर वैन गुजरी. उसे देख प्रतिभा की जान में जान आई. इतने में शिव कुमार ने प्रतिभा के मुंह को दबा दिया, ताकि वो चिल्लाए न. पुलिस ने यहां लापरवाही बरती. उन्होंने सुनसान रास्ते में खड़ी कार की तहकीकात नहीं की. बिना उसे चेक किए वहां से चले गए. इस बीच शिव कुमार ने प्रतिभा का रेप किया. चाकू से फिर उसकी गर्दन रेत डाली. शव को नाले में फेंककर वो घर चला गया.

पुलिस ने जब शिव कुमार से ऐसा करने की वजह पूछी तो उसने बताया- 10 दिन पहले मेरी पत्नी मुझसे लड़कर मायके चली गई. तब मेरा मन किया कि मैं किसी के साथ संबंध बनाऊं. इसके लिए मैंने ऑफिस की तीन लड़कियों को चुना. उन्हें फोन किया कि आज मैं उनका पिक-अप करूंगा लेकिन उन्होंने मेरे साथ जाने से इनकार कर दिया. तब मुझे प्रतिभा का ख्याल आया. मैं उसे पसंद भी करता था. वो मेरी बातों में आ गई और मैंने उसके साथ यह सब कर डाला. अगर मैं उसे जिंदा छोड़ता तो वो मुझे फंसा देती. इसलिए मैंने उसे मार डाला.

क्या हुई आरोपी को सजा?

जनवरी 2006 में मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चला. शिव कुमार पर 366 किडनैपिंग, 356 रेप और 302 कत्ल करने का चार्ज लगे. साल 6 अक्टूबर 2010 में आरोपी शिव कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, वो भी बिना पैरोल की. 80 से ज्यादा लोगों ने इसके खिलाफ गवाही दी थी. फरवरी 2011 में शिव कुमार ने केस को हाईकोर्ट में चैलेंज किया. 31 मई 2016 में हाईकोर्ट ने सजा को बरकरार रखा. मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बदलते हुए उसे 30 साल कैद कर दिया. दलील दी कि इसका कोई भी पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. इंसान को एक बार सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए. यानि अब 11 साल के बाद वो जेल से बाहर आ जाएगा. लेकिन इसके कारण एक मासूम महिला ने अपनी जान गंवा दी.