सिर्फ इन दिनों में ही बदल ले कलावा! अगर आप भी बांधते हैं तो… भूलकर भी न करें ये गलती

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नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में हाथ में कलावा बांधना काफी शुभ और जरूरी माना जाता है. हर छोटी-बड़ी पूजा में या किसी भी शुभ काम को करने से पहले हाथ में मौली बांधी जाती है, कलावा का कई जगह पर रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. माना जाता है कि कलाई पर इसे बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है. शास्त्रों के अनुसार हाथ में मौली बांधने से त्रिदेवों और तीनों महादेवियों की कृपा प्राप्त होती है. महालक्ष्मी की कृपा से धन-सम्पत्ति, महासरस्वती की कृपा से विद्या-बुद्धि और महाकाली की कृपा से शक्ति प्राप्त होती है.

कलावा बांधने से पहले जान लें ये जरूरी बात
बहुत कम लोग ही इस बात को जानते हैं लेकिन हाथ में कलावा बांधने या बदलने से पहले कुछ खास नियम होते हैं. इन नियमों को ध्यान में रख कर ही कलावा बांधा और बदला जाना चाहिए. आपको बता दें कि कलावा को बदलने से पहले दिन नहीं देखना चाहिए. कुछ लोग कलावा इसलिए बदलते हैं कि हाथ पर बंधा कलावा काफी पुराना हो गया है तो उसे बदल कर नया बांध लेते हैं. ऐसा करना अशुभ माना जाता है. शास्त्रों में माना जाता है कि कोई भी धार्मिक कर्म कांड क्यों न हैं उसे शुरू करने से पहले कलावा हाथ में बांधा जाता है. मांगलिक कार्यक्रमों में कलावा बांधना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि कलावा हाथ में बाधने से संकटों से बचाव होता है.

इस दिन कलावा बांधना माना जाता है शुभ
शास्त्रों के अनुसार सिर्फ मंगलवार और शनिवार का दिन कलावा बदलने का शुभ दिन माना जाता है. इसे बांधने से सकारात्मक ऊर्जा जीवन में मिलती है. पुरुष और औरतों दोनों को अलग-अलग हाथ में कलावा बांधा जाता है. पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ पर और विवाहित स्त्री के बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए.

बंधवाते समय इन बातों का रखें ध्यान
शास्त्रों में बताया गया है कि जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए व कलावा को सिर्फ तीन बार ही लपेटना चाहिए. साथ ही आपको बता दें कि कभी भी पुरानी मौली का फेंकना नहीं चाहिए बल्कि इसे किसी पीपल के पेड़ के नीचे डाल देना चाहिए.

कलावा बांधने का वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक दृष्टि से अगर मौली के फायदों के बारे में देखा जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है. मौली बांधना जहां लोगों को उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है. वहीं कलावा बांधने से त्रिदोष-वात, पित्त और कफ का शरीर में सामंजस्य बना रहता है. शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण कलाई में होता है. इसका मतलब है कि कलाई में मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है. साथ ही अगर कोई बीमारी है तो वह भी नहीं बढ़ती है.

पुराने जमाने में घर परिवार के लोगों में देखा गया है कि हाथ, कमर, गले और पैर के अंगूठे में कलावा या मौली का प्रयोग करते थे. जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी था. वैसे आपको बता दें कि ब्ल्ड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिए भी कलावा या मौली बांधना हितकारी बताया गया है.

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं)