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देहरादून: उत्तराखंड के वनभूलपुरा में हुई हिंसा के बाद राज्य की धामी सरकार अब सार्वजनिक या निजी संपत्ति के नुकसान मामले पर गंभीर हो गई है. राज्य सरकार अब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के फॉर्मूले को अमल में लाने की तैयारी कर रही है. 26 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र के दौरान सरकार अब ‘उत्तराखंड सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक’ पेश कर सकती है.
नुकसान की ऐसी की जाएगी भरपाई
इस विधेयक का उद्देश्य विरोध प्रदर्शनों, दंगों और हड़तालों में भाग लेने वाले लोगों के कारण सार्वजनिक और सरकारी संपत्तियों को हुए नुकसान की लागत वसूल करना है.सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित विधेयक हलद्वानी हिंसा का नतीजा है जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी और कई घायल हुए थे.
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सदन में पेश करने के बाद विधेयक पर बहस होगी और फिर इसे पारित करने के बाद कानूनी रूप दिया जाएगा. जैसे ही यह सदन में पास हो जाएगा तो कानून बनने के बाद उत्तराखंड उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो जाएगा जहां इस रह का कानून लागू है.
8 फरवरी को हुई थी हिंसा
आपको बता दें कि उत्तराखंड के हल्द्वानी में 8 फरवरी को भारी हिंसा हुई थी. बनभूलपुरा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने पहुंची पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीम पर उपद्रवियों ने हमला बोला था. भारी पथराव के साथ ही आगजनी और गोलीबारी भी की थी. कई गाड़ियों के साथ ही थाने को घेरकर आग के हवाले कर दिया था. इस संबंध में थाना बनभूलपुरा में एफआईआर दर्ज हुई थी. अब नैनीताल पुलिस ने दंगे में वांछितों के पोस्टर जारी किए थे.
जानकारी के मुताबिक, अब्दुल मलिक सहित 9 वॉन्टेड दंगाइयों के पोस्टर शहर भर में चिपकाए गए हैं. लोगों से उनके बारे में कोई भी जानकारी होने पर पुलिस के साथ साझा करने के लिए कहा गया है. इन दंगाइयों के नाम अब्दुल मलिक, अब्दुल मोईद, तस्लीम, वसीम, अयाज़, रईस, शकील अंसारी, मौकीन और जिया उल रहमान है.. पुलिस टीमें लगातार सभी संभावित स्थानों पर उनकी तलाश कर रही हैं. बनभूलपुरा में अभी कर्फ्यू जारी है, जिसमें कुछ घंटों की ढील दी जारी रही है.
यूपी में है ये कानून
आपको बता दें कि यूपी विधानसभा में 20222 में इसी तरह का कानून ‘उत्तर प्रदेश लोक तथा निजी संपत्ति संपत्ति क्षति वसूली (संशोधन) विधेयक- 2022’ पारित किया गया था. इस संशोधन विधेयक में दंगा-उपद्रव में किसी व्यक्ति की मौत या संपत्ति के नुकसान पर मुआवजे की रकम की वसूली दोषी व्यक्ति से करने का प्रावधान है. विधेयक में यब बात भी साफ है कि अगर प्रदर्शन या हड़ताल के दौरान किसी भी प्रकार का नुकसान होता है, किसी संपति को तोड़ा जाता है या फिर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. साथ ही ऐसे आयोजनों को कराने वाले लोगों को भी जवाबदेह बनाया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि भीड़ बेकाबू न हो साथ ही आयोजक अलर्ट रहें.