20 सालों से पकड़ रहा था खतरनाक सांप, कोबरा ने डसा और हो गई मौत

Dangerous snake was caught for 20 years, cobra bitten and died
Dangerous snake was caught for 20 years, cobra bitten and died
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चूरू. बीकानेर संभाग के चूरू जिले के सरदारशहर इलाके में बीते 20 बरसों से जहरीले सांप पकड़ने के लिये मशहूर रहे स्नैक केचर विनोदी तिवाड़ी (Snackman Vinod Tiwari) की कोबरा सांप के डसने से मौत हो गई. शनिवार को एक कोबरा सांप (Cobra snake) को पकड़ने के बाद उसने विनोद तिवाड़ी की अंगुली पर डस लिया था. इससे मौके पर ही विनोद तिवाड़ी की मौत हो गई. रविवार को उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या लोग पहुंचे. तिवाड़ी को कोबरा के डसने का यह पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया.

सर्प मित्र के रूप में चर्चित रहे विनोद तिवाड़ी बीते करीब 20 बरसों से सांपों को पकड़कर उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ने का कार्य कर रहे थे. स्थानीय लोगों के अनुसार तिवाड़ी को सांप पकड़ने में महारत हासिल थी. वे एक साथ पांच-पांच ब्लैक कोबरा जैसे जहरीले सांपों को काबू कर लिया करते थे. तिवाड़ी सांप, गोह और गोहिरे को मारने नहीं देते थे बल्कि इन्हे बचाने के लिए स्वयं पहुंच जाते थे. वे आसानी से इन वन्य जीवों को रेस्क्यू कर सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ देते थे. विनोद तिवाड़ी जीवीएम संस्थान में नौकरी करते थे. उन्हें जब भी कहीं से सांप निकलने की सूचना मिलती तो तत्काल वहां पहुंचते थे. वे बड़ी कुशलता के साथ उसे काबू कर थैले में डाल लेते थे. शनिवार को भी उन्होंने ऐसा किया था. लेकिन बदकिस्मती से कोबरा ने उनको डस लिया.

तिवाड़ी को अहसास हो गया था कि गड़बड़ हो गई है
विनोद तिवाड़ी शनिवार को सरदारशहर में श्रीराम मंदिर के पास रखे कचरा पात्र के नीचे सांप होने की सूचना मिलने पर उसे पकड़ने गए थे. उन्होंने सहजता से उसे काबू कर लिया था. कोबरा को थैले में डालने के दौरान उसने तिवाड़ी के हाथ की अंगुली पर डस लिया. इसका पता चलने के बाद भी विनोद तिवाड़ी ने थैले ठीक के बंद किया. बाद में अंगुली को चूसकर जहर बाहर निकलने का प्रयास किया. लेकिन उन्हें अहसास हो गया था कि आज गड़बड़ हो गई है.

गोगामेड़ी पर गये और वहां मत्था टेका
उसके बाद वे पास ही लोक देवता महाराज की गोगामेड़ी पर गये और वहां मत्था टेका. लेकिन उसी दौरान उनका जी घबराने लगा. पास ही मौजूद लोगों ने उनको संभालने का प्रयास किया. इस दौरान उनके मुंह से अंतिम शब्द निकले कि ”आज जच गया लगता है”. इसके साथ ही वे जमीन पर गिर गये. सूचना मिलने पर पास ही स्थित विनोद तिवाड़ी के घर से उनका पुत्र एवं धर्मपत्नि आये और उन्हें ऑटो से अस्पताल भी लेकर गये. लेकिन तब तक विनोद तिवाड़ी दम तोड़ चुके थे.

घायल सांपों का उपचार भी करते थे
बताया जा रहा है सांप को रेस्क्यू करने के दौरान विनोद तिवाड़ी पानी तक नहीं पीते थे. इसका कारण यह था कि वे जिस सांप को पकड़ते थे उसे बिना देरी किए छोड़ना चाहते थे ताकि वह परेशान नहीं हो. वे घायल सांपों का उपचार भी करते थे. उन्हें कई-कई दिनों तक खुले में अपने घर पर रखते थे और मरहम पट्टी किया करते थे. ऐसा नहीं है कि तिवाड़ी को सांप ने कोई पहली बार काटा था. इससे पहले भी उनको सांप कई बार काट चुके थे. लेकिन वे कोबरा जितने जहरीले नहीं थे. उनका कहना था कि हर सांप जहरीला नहीं होता. सांप स्वत: किसी को नहीं काटते. वे अपने आप को व्यक्ति विशेष से खतरा महसूस होने पर अपनी जीवन रक्षा के लिए काटते हैं. विनोद तिवाड़ी बरसों तक जिस मुहिम में लगे रहे आखिरकार वही मुहिम उनकी जान की दुश्मन बन गई.