कालाष्टमी कल, काल भैरव की इन 5 मुहूर्त में ना करें पूजा, जानिए पूजा का सही समय

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वैशाख माह में कालाष्टमी का व्रत 03 मई 2021, दिन सोमवार को रखा जाएगा। भगवान भैरव के भक्तों के लिए कालाष्टमी का व्रत बेहद खास होता है। कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने व विधि-विधान से पूजा करने से हर विपत्ति से मु्क्ति मिलती है। भगवान भैरव की कृपा से राहु-केतु की बुरी दशा से भी छुटकारा मिलता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव भैरव रूप में प्रकट हुए थे।  इस दिन को कालभैरव जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। इस साल 03 मई को कालाष्टमी दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी और 04 मई को दोपहर 01 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी।

इस दिन चंद्रमा मकर राशि में और सूर्य मेष राशि में रहेंगे। इस दिन भरणी सूर्य नक्षत्र रहेगा। कालाष्टमी के दिन शुभ योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दौरान किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है।

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कालाष्टमी के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:02 ए एम, मई 04 से 04:46 ए एम, मई 04 तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:39 ए एम से 12:32 पी एम तक।
विजय मुहूर्त-    02:18 पी एम से 03:11 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:29 पी एम से 06:53 पी एम तक।
अमृत काल- 10:01 पी एम से 11:37 पी एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:44 पी एम से 12:27 ए एम, मई 04 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग- 08:22 ए एम से 05:29 ए एम, मई 04 तक।
रवि योग- 05:29 ए एम से 08:22 ए एम तक।

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कालाष्टमी पूजा विधि-

कालाष्टमी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठें।
स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
पवित्र स्थान पर कालभैरव की मूर्ति स्थापित करें।
इसके बाद चारों तरह गंगाजल का छिड़काव करें।
अब उन्हें फूल अर्पित करें।
साथ ही नारियल, इमरती, पान, मदिरा, गेरुआ आदि चीजें अर्पित करें।
इसके बाद चौमुखी दीपक जलाएं और धूप-दीप करें।
भैरव चालीसा का पाठ करें।
अब काल भैरव की आरती उतारें।

कालाष्टमी 2021 के दिन इन मुहूर्त में ना करें पूजा-

राहुकाल- 07:09 ए एम से 08:48 ए एम तक।
यमगण्ड- 10:27 ए एम से 12:06 पी एम तक।
गुलिक काल- 01:45 पी एम से 03:24 पी एम तक।
दुर्मुहूर्त- 12:32 पी एम से 01:25 पी एम तक।
वर्ज्य- 12:23 पी एम से 01:59 पी एम और इसके बाद 03:11 पी एम से 04:03 पी एम तक।