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जबलपुर. अब तक हमने बिजली को स्टोर यानी जमा करने की बातें सुनी होंगी, लेकिन देश में अब यह जल्द संभव हो सकेगा. इस दिशा में मध्य प्रदेश सबसे पहला राज्य होगा जो कदम बढ़ाने जा रहा है. सरकार का मानना है कि इस मेगा प्रोजेक्ट से 600 मेगावॉट तक बिजली जमा हो सकेगी. हाल ही में सम्पन्न हुए ऊर्जा विभाग के तीन दिवसीय मंथन 2022 के आयोजन से वाकई अमृत ही निकला है. मंथन के समापन के बाद मीडिया से मुखातिब हुए ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने बताया है कि दिसंबर महीने में ही बिजली को स्टोर करने की नई तकनीक पर काम चालू हो जाएगा और टेंडर भी हो जाएंगे.
उनका कहना है कि फिलहाल में रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है. ऐसे में जिस मेटल का उपयोग इस पूरी प्रक्रिया में होना है वह काफी महंगा हो गया है. हालात सामान्य होने पर इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाएगा. बिजली स्टोर यानी जमा करने के लिए टंगस्टन ऑक्साइड बेस्ट नैनोमेटेरियल बैटरी का इस्तेमाल होगा. अमूमन इस बैटरी की विदेशों से ही आपूर्ति की जाएगी, लेकिन फिलहाल अंतरराष्ट्रीय माहौल में यह यंत्र बेहद महंगा है जिस वजह से फिलहाल इस प्रक्रिया को दिसंबर तक टाल दिया गया है.
ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे का कहना है कि मूल रूप से प्राकृतिक स्त्रोतों से मिलने वाली बिजली में इसका इस्तेमाल होगा जिसमें विंड एनर्जी ,सोलर एनर्जी शामिल है. अमूमन औसत बिजली आपूर्ति हो जाने के बाद अतिरिक्त बिजली को इस्तेमाल में नहीं लिया जा सकता था, क्योंकि अतिरिक्त बिजली को स्टोर करने की सुविधा नहीं थी. लेकिन टंगस्टन ऑक्साइड बेस नैनोमेटेरियल बैटरी