वेस्ट यूपी में टिकटों पर रालोद में भयंकर बवाल, धोखा देने और सिंबल बेचने के लगे आरोप

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नई दिल्ली। जयंत चौधरी (jayant chaudhary) की राष्ट्रीय लोकदल (rld) में टिकट बंटवारे को लेकर इस समय वेस्ट यूपी में बवाल मचा हुआ है। पार्टी से जुडे लोग ही अब कई तरह के आरोप लगा रहे है। कुछ लोग जहां रालोद के सिंबल पर सपा नेताओं को चुनाव लडाने को अखिलेश का रालोद के साथ धोखा बता रहे है, वहीं कुछ लोग सपा के उम्मीदवारों को रालोद का सिंबल बेचने का भी आरोप लगा रहे है।

वेस्ट यूपी के रालोद खेमे में इस समय भारी बेचैनी है। सपा-रालोद गठबंधन ने 29 सीटों का ऐलान किया था। इसमें से 19 सीटें रालोद को और 10 सीटें सपा के कोटे में गई थीं। रालोद को जो 19 सीटें मिली थीं, उनमें छह लोग सपा नेता थे। सिंबल शिफ्टिंग की इस नई परिपाटी से रालोद के खेमा बेचैन है। समाजवादी पार्टी ने अपने ही नेताओं को रालोद के सिंबल हैंडपंप पर उतार दिया है। सपा के पैंतरे से रालोद के तमाम दावेदार खुद को ठगा महसूस कर रहे है। रालोद नेताओं का कहना है कि मेहनत करेंगे हम और मलाई समाजवादी पार्टी खाये, ये नहीं चलेगा।

वेस्ट यूपी में टिकटों की सारी मलाई सपा ने लूटी

मुजफ्फरनगर में 6 विधानसभा सीटें हैं और पांच रालोद के खाते में गई हैं, लेकिन हकीकत में इन पांच में से चार उम्मीदवार सपा के हैं। केवल बुढाना सीट ही रालोद की है। मेरठ में भी अखिलेश यादव जयंत चौधरी पर दबाव बनाकर 6 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार चुके हैं। मेरठ की सिवालखास विधानसभा सीट पर भारी बवाल मचा हुआ है, राष्ट्रीय लोकदल के सिम्बल पर सपा के पूर्व विधायक ग़ुलाम मोहम्मद को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया, इससे रालोद के नताओं को सब्र टूट गया है और खुलकर विरोध हो रहा है। मथुरा और अमरोहा में भी रालोद के खेमे में भयंकर असंतोष है। रालोद नेता कह रहे है कि हम अपने घर में सपा को अपने सिंबल पर चुनाव लडा रहे, क्या सपा भी अपने घर में रालोद के नेताओं को इसी तरह से चुनाव लडा सकती है। जाट महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष रोहित जाखड़ ने कहा है कि जाट महासंघ चुनाव का बहिष्कार करेगा। वह गठबंधन से बिल्कुल सहमत नहीं है। रालोद के लोगों में गुस्सा इतना है कि कई गांवों में जयंत के खिलाफ नारेबाजी करते हुए रालोद के झंडे में आग लगा दी गई।

पार्टी के एक नेता ने कहा, हम गठबंधन में जूनियर पार्टनर हैं, लेकिन पश्चिम यूपी में मजबूत हैं और इस क्षेत्र में दबदबा रखते हैं। ऐसा लगता है कि हमारे प्रमुख जयंत चौधरी सपा के दबाव के आगे झुक गए हैं। वहीं पार्टी के ही कुछ लोग कह रहे है कि सपा उम्मीदवारों को रालोद का सिंबल बेच दिया गया है। इस मामले में विरोध सिर्फ मेरठ तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य क्षेत्रों में फैल गया है। रालोद के एक नेता ने कहा, आक्रोश व्यापक है। सपा ने अपने उम्मीदवारों को रालोद के प्रतीक पर खड़ा किया है, जहां जाट बहुमत में हैं और उन्हें सुरक्षित सीटें माना जाता था। उधर आरएलडी में रार की घंटी बजने से अब मुश्किलें अखिलेश यादव की भी बढ़ गई हैं। जाट बिरादरी इसे स्वाभिमान की लड़ाई मान रही है। दरअसल, 2013 के दंगों के बाद जाट और मुस्लिमों में बिखराव हुआ। इसके बाद दोनों ही बिरादरी एक साथ नहीं आईं। अब जाटों का आक्रोश अखिलेश यादव के लिए भी चुनाव में मुसीबत बन सकता है।