दिल कमजोर तो दिमाग भी कमजोर! खराब Heart Health से डिमेंशिया का खतरा दोगुना, स्टडी का दावा

If the heart is weak then the brain is also weak! Poor heart health doubles the risk of dementia, study claims
If the heart is weak then the brain is also weak! Poor heart health doubles the risk of dementia, study claims
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याददाश्त कमजोर होना, चीजें भूल जाना, निर्णय लेने में परेशानी होना… ये तो बढ़ती उम्र के कुछ सामान्य लक्षण लगते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इन लक्षणों के पीछे कहीं न कहीं आपके दिल की सेहत भी जिम्मेदार हो सकती है? हाल ही में हुए एक चौंकाने वाले अध्ययन में यह पाया गया है कि कमजोर दिल की सेहत सीधे तौर पर डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी के खतरे को बढ़ा सकती है.

यूसीएल शोधकर्ताओं के नेतृत्व में द लैंसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन ने संकेत दिया है कि धूम्रपान और कम शिक्षा लेवल जैसे फैक्टर की तुलना में दिल की सेहत (cardiovascular health) से जुड़े डिमेंशिया (मनोभ्रंश) रिस्क फैक्टर समय के साथ बढ़ सकते हैं. यह शोध डिमेंशिया रिस्क फैक्टर्स की व्यापकता में बदलाव और भविष्य में डिमेंशिया के मामलों पर उनके संभावित प्रभाव का पता लगाता है.

अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर, वर्तमान में लगभग 5 करोड़ लोग डिमेंशिया के साथ रह रहे हैं और लगभग 52% वैश्विक आबादी किसी ऐसे व्यक्ति को जानती है जिसे इस बीमारी का पता चला है. डिमेंशिया मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक बना हुआ है, जो विशेष रूप से वृद्ध वयस्कों को प्रभावित करता है. संभावित रूप से परिवर्तनशील रिस्क फैक्टर्स में रुचि बढ़ रही है, क्योंकि इन्हें खत्म करने से सैद्धांतिक रूप से लगभग 40% डिमेंशिया के मामलों को रोका जा सकता है, जैसा कि यूसीएल शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए शोध के अनुसार है.

क्या होता है डिमेंशिया?
डिमेंशिया को आमतौर पर कॉग्निटिव क्षमताओं में गिरावट की विशेषता होती है, जो रोजाना के जीवन में बाधा डालती है. यह दिमाग की सेल्स को नुकसान के कारण होता है, जिससे उनके प्रभावी ढंग से संचार करने की क्षमता ब्लॉक हो जाती है. जेनेटिक फैक्टर डिमेंशिया के खतरे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पर्यावरणीय फैक्टर भी इसमें योगदान करते हैं, जिनमें धूम्रपान, व्यायाम की कमी और खराब डाइट जैसे जीवनशैली विकल्प शामिल हैं, जो दिमाग की सेहत को प्रभावित करने वाली वैस्कुलर बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकते हैं. अन्य रिस्क फैक्टर्स में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी दिल से जुड़ी बीमारियां शामिल हैं.

शोध
नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में डिमेंशिया से पीड़ित लोगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए 1947 से 2015 तक के 27 रिसर्च पेपर का विश्लेषण किया. उन्होंने डिमेंशिया रिस्क फैक्टर्स पर डेटा निकाला, फिर मूल्यांकन और आकलन किया कि इन फैक्टर्स ने समय के साथ डिमेंशिया के मामलों में कैसे योगदान दिया. अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला है कि धूम्रपान की दर पिछले कुछ वर्षों में कम हुई है, जो डिमेंशिया की दरों में गिरावट से संबंधित है. इसके विपरीत, मोटापा और डायबिटीज की दरें बढ़ी हैं, जिससे डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है. समीक्षा किए गए अधिकांश अध्ययनों में हाई ब्लड प्रेशर प्रमुख रिस्क फैक्टर के रूप में सामने आया, हालांकि हाई ब्लड प्रेशर के कंट्रोल में भी समय के साथ सुधार हुआ है.

एक्सपर्ट की राय
शोध की मुख्य लेखक डॉ. नाहिद मुकदाम ने कहा कि दिल से जुड़े रिस्क फैक्टर ने समय के साथ डिमेंशिया के खतरे में अधिक योगदान दिया हो सकता है, इसलिए भविष्य में डिमेंशिया रोकथाम के प्रयासों के लिए इन पर अधिक टारगेट एक्शन की जरूरत है. हमारे परिणाम बताते हैं कि धूम्रपान का लेवल कम हो गया है.