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अगर आप टैटू बनवाने का मन बना रहे हैं, तो ये खबर आपके लिए जरूरी है. स्वीडन में हुए एक नए अध्ययन में सामने आया है कि टैटू बनवाने और खून के कैंसर लिंफोमा के खतरे के बीच संबंध हो सकता है. लिंड यूनिवर्सिटी स्वीडन के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए स्वीडिश नेशनल कैंसर रजिस्टर का विश्लेषण किया. उन्होंने 2007 से 2017 के बीच 20 से 60 साल की उम्र के लोगों के डाटा की जांच की, जिन्हें लिंफोमा का पता चला था. इसके बाद इन लोगों की तुलना उसी उम्र के स्वस्थ लोगों के ग्रुप से की गई, जिन्हें लिंफोमा नहीं था.
अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को टैटू थे, उनमें लिंफोमा होने का खतरा 21% ज्यादा था, जिन लोगों को टैटू नहीं थे उनकी तुलना में. खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है अगर आपने हाल ही में टैटू बनवाया है. अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने पिछले दो सालों में टैटू बनवाया था, उनमें लिंफोमा होने का खतरा 81% ज्यादा था.
हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी और अध्ययन की जरूरत है ये समझने के लिए कि टैटू की स्याही में कौन से रसायन लिंफोमा के खतरे को बढ़ा सकते हैं. साथ ही, यह अध्ययन यह साबित नहीं करता कि टैटू सीधे तौर पर कैंसर का कारण बनते हैं, बल्कि सिर्फ इतना बताता है कि दोनों के बीच संबंध हो सकता है.
तो, टैटू बनवाने वालों को क्या करना चाहिए?
फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं है. एक्सपर्ट का कहना है कि लिंफोमा एक दुर्लभ कैंसर है. अध्ययन में पाया गया खतरे का बढ़ना भी बहुत ज्यादा नहीं है. लेकिन, अगर आप टैटू बनवाने का विचार कर रहे हैं, तो थोड़ा रुककर सोच सकते हैं. एक प्रोफेशनल टैटू आर्टिस्ट के पास जाएं, जो साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखता हो और अच्छी क्वालिटी की स्याही का इस्तेमाल करता हो. साथ ही, यह भी ध्यान रखें कि आपकी सेहत अच्छी हो और कोई गंभीर बीमारी न हो.