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पटना. बिहार में जाति की राजनीति (Caste Politics In Bihar) कोई नई बात नहीं है. शायद ही कोई ऐसा चुनाव आता है जब तमाम राजनीतिक पार्टियां जातियों को साधने की कवायद नहीं करती दिखती है. भले ही कोई इसमें सफल होता है तो किसी के हाथ सफलता नहीं मिल पाती. लेकिन, सभी राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर से प्रयास जरूर करते हैं. कुछ ऐसा ही प्रयास बिहार की सियासत में लोकसभा चुनाव की आहट होते ही दिखने लगी है. सबसे पहले इसकी शुरुआत जदयू (JDU) करने जा रही है, जो महाराणा प्रताप स्मृति समारोह (Mahrana Pratap Smriti Samaroh) के बहाने राजपूत वोटर तो कर्पूरी ठाकुर जयंती समारोह (Karpuri Thakur Jayanti Samaroh) के बहाने अति पिछड़ा वोटर को बड़ा मैसेज देने की तैयारी में है.
दरअसल इस वक्त बिहार में जातिगत गणना (Bihar Caste Census) का कार्य ज़ोर शोर से चल रहा है और इसके साथ ही जाति की राजनीति की चर्चा भी तेज हो गई है. इसी बीच 23 और 24 जनवरी को राजधानी पटना में दो बड़े राजनीतिक आयोजन होने वाले हैं, जिसका आयोजन नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू की ओर से किया जाएगा. माना जा रहा है कि इन दोनों आयोजन के सहारे जदयू की नज़र राजपूत और अति पिछड़ा वोटर पर रहेगी. 23 जनवरी को मिलर स्कूल के मैदान में जदयू एमएलसी संजय सिंह महाराणा प्रताप स्मृति समारोह का आयोजन कर रहे हैं जिसमें नीतीश कुमार, ललन सिंह समेत जदयू के कई नेता शामिल होंगे.
संजय सिंह के अनुसार इस समारोह में लगभग 30 से 40 हजार लोगों के आने की संभावना है, जिसकी तैयारी के लिए उन्होंने पूरे बिहार का दौरा कर लोगों से इस समारोह में आने का आग्रह किया है. लेकिन, संजय सिंह कहते हैं कि इसका आयोजन किसी जाति को साधने के लिए नहीं बल्कि आयोजन महाराणा प्रताप के वीरता और कार्यों को लोगो तक पहुंचना है. अब अगर इसमें महाराणा प्रताप के वंशजों की संख्या ज़्यादा हो तो इसमें जाति की बात नहीं कही जा सकती है.
वहीं दूसरी तरफ़ 25 जनवरी को पटना के बापू सभागार में कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह का आयोजन किया गया है, जो ज्यादातर मौके पर जदयू दफ्तर में किया जाता था. लेकिन, इस बार बापू सभागार में हो रहा है, जिसकी तैयारी में जदयू के प्रदेश प्रेसिडेंट उमेश कुशवाहा लगातार बैठक कर तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं. उमेश कुशवाहा बताते हैं कि 23 जनवरी को शाम से ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा. उम्मीद है कि 24 जनवरी को लगभग 25 से 30 हजार लोग इस आयोजन में शामिल होंगे.
उमेश कुशवाहा कहते हैं कि ये आयोजन जदयू जातियों को साधने के लिए नहीं बल्कि समाज के सबसे पिछड़े लोगों के लिए कर रहा है, जो आवाज कर्पूरी ठाकुर जी ने उठाया था और समाज के मुख्य धारा में लाया था. आज वही काम उनके बताए रास्ते पर चल रहे नीतीश जी कर रहे हैं. जयंती समारोह के माध्यम से हम अति पिछड़े समाज को ये बताने की कोशिश भी करेंगे कि अति पिछड़ा समाज के लिए नीतीश कुमार लगातार काम करते रहे हैं. आगे भी करते रहेंगे इसमें जातियों को साधने जैसी कोई बात नहीं है, नीतीश कुमार समाज के हर तबके को साथ लेकर चलने वाले नेता हैं.