केजरीवाल पर मुसीबत ही मुसीबत! अब अदालत ने CBI को भी दे दी ये छूट, कर लो…

इस खबर को शेयर करें

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। केजरीवाल की तीन दिन की रिमांड पूरी होने पर शनिवार को सीबीआई ने उन्हें राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया। सीबीआई ने बुधवार को दिल्ली शराब नीति मामले में उन्हें गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसी ने सबूतों के साथ सामना कराने के लिए पांच दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन उन्हें तीन दिन की रिमांड मिली। अदालत ने 12 जुलाई को केजरीवाल को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।

आज कोर्ट में क्या-क्या दलीलें हुईं?
अदालत में वकील विक्रम चौधरी ने केजरीवाल की ओर से दायर आवेदन को पढ़ा, जिसमें केस डायरी सहित जमा की गई सभी सामग्री को रिकॉर्ड पर रखने के लिए सीबीआई को निर्देश देने की मांग की गई।

अदालत ने कहा आप इन पहलुओं को अदालत पर विचार करने के लिए छोड़ सकते हैं।

चौधरी ने कहा सुप्रीम कोर्ट में मेरे सह-आरोपी की जमानत याचिका में उन्होंने कहा कि वे 3 जुलाई तक जांच पूरी कर लेंगे।

कोर्ट ने कहा, निश्चित तारीख तक जांच पूरी करने के संबंध में उन्होंने जो भी बयान दिया है, भले ही उन प्रतिबद्धताओं का पालन नहीं किया गया हो, इससे आपको जमानत लेने का आधार मिल जाएगा। आप यह नहीं कह सकते कि JC नहीं दी जा सकती।

चौधरी ने कहा, मैं प्रार्थना कर रहा हूं कि कृपया आईओ से कहें कि वे जो भी कह रहे हैं, उसका पालन करें। ताकि कल मैं किसी भी फोरम पर इस मुद्दे पर बहस कर सकूं… मैं विशेष रूप से कुछ कहना चाहता हूं। मैं सारा मामला अदालत पर छोड़ता हूं। कोई भी केस डायरी की कॉपी नहीं मांग सकता। मैं आपके आधिपत्य की निष्पक्ष रूप से सहायता करने के लिए यहां हूं। आपका आधिपत्य उनसे विशेष रूप से पूछ सकता है कि वह सामग्री कहाँ है।

उन्होंने आगे कहा, मैं कह रहा हूं कि यदि वे पहले तीन मामलों में आपके विवेक को संतुष्ट करने में असमर्थ हैं, तो आज रिमांड कार्यवाही अवैध है। यदि वे आपके आधिपत्य को संतुष्ट करने में असमर्थ हैं…
कोर्ट ने कहा, आपका प्रार्थना खंड इसे स्पष्ट नहीं कर रहा है। जिस मैदान का आपने उल्लेख नहीं किया है।

चौधरी ने कहा, भले ही जज ने पीसी या जेसी की अनुमति दे दी हो, किसी भी स्थिति में न्यायिक हिरासत को बढ़ाने की मांग आती है, तो ऐसा नहीं है कि जज इसे बढ़ा देगा, यदि हिरासत ठोस आधार पर नहीं है… मेरा मुख्य जोर इस बात पर है कि अदालत ये सब कुछ रिकॉर्ड पर ले सकता है।

केजरीवाल के वकील ने कहा, आरोपी की पत्नी और परिवार यहां है, यदि आप की इजाजत हो तो आदेश पारित होने तक आरोपी को उनसे मिलने की अनुमति दी जाए। अदालत ने कहा कि कोर्ट के भीतर अनुमति है।

CBI ने कोर्ट में क्या क्या कहा?
अरविंद केजरीवाल जांच में सहयोग नहीं दे रहे जीवी है। रिमांड अवधि के दौरान वो जानबूझकर सवालो के सीधे सीधे जवाब देने से बच रहे है। उनके बयान सबूतों से मेल नहीं खाते।

केजरीवाल का बड़ा राजनीतिक रसूख है। वो दिल्ली के मुख्यमंत्री है। वो गवाहो को प्रभावित कर सकते है।सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते है। जिन सम्भावित गवाहों के बयान अभी दर्ज होने है, उनको प्रभावित कर सकते है। जो अभी सबूत इकट्ठे होने बाकी है, उनसे छेड़छाड़ कर सकते है। इस तरीके से जांच को प्रभावित कर सकते है।

पूछताछ के दौरान अरविंद केजरीवाल का जब सबूतों से सामना कराया गया तो वो उनके मद्देनजर पूछे गए सवालों का कोई संतोषजनक जवाब उन्होंने नहीं दिया।

केजरीवाल ने इसका कोई स्‍पष्‍टीकरण नहीं दिया कि नई आबकारी नीति मामले में आखिर होल सेल प्रॉफिट का मार्जिन 5 से 12 फीसदी बढ़ाने की जरूरत क्या थी। इस बारे में कोई अध्ययन / आधार के बिना ही ऐसा फैसला क्यों ले लिया गया।

जब कोविड की दूसरी लहर पूरी पीक थी तब ऐसी क्या जल्दबाज़ी थी कि संसोधित आबकारी नीति के लिए 1 दिन के अंदर ही सर्कुलेशन के ज़रिए कैबिनेट की मंजूरी हासिल की गई। यह तब हुआ जब साउथ लॉबी के लोग दिल्ली में ही मौजूद थे और विजय नायर के साथ मीटिंग कर रहे थे।

केजरीवाल से विजय नायर की शराब कारोबारियों के साथ मीटिंग और उसकी ओर से आबकारी नीति में मनमाफिक बदलाव की एवज में जब रिश्वत की मांग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसका भी कोई सीधा जवाब नहीं दिया।

केजरीवाल ने मंगूटा रेड्डी, अर्जुन पांडे और मूथा गौतम के साथ अपनी मुलाकात को लेकर भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।

गोवा में चुनाव प्रचार के दौरान AAP द्वारा 44.54 करोड़ के इस्तेमाल को लेकर पूछे गए सवाल को लेकर भी उन्होने कोई सीधा जवाब नहीं दिया।

अभी जांच जारी है, जांच अहम मोड़ पर है। कुछ अहम गवाहों के बयान दर्ज होने है। कुछ अहम डिजिटल सबूत अभी इकट्ठा होने बाकी है।

केजरीवाल का बड़ा राजनीतिक रसूख है। वो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं ।सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं लिहाजा उन्हें ज्यूडिशल कस्टडी में भेजा जाएं।

सीबीआई मे लगाए ये आरोप
सीबीआई का कहना है कि केजरीवाल की कस्टडी में रखने की जरूरत थी ताकि उन्हें मामले से संबंधित दस्तावेज दिखाए जा सकें। जांच एजेंसी ने ये आरोप लगाया कि केजरीवाल ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को फंसाया, और शराब नीति के निजीकरण का ठीकरा उनके सिर फोड़ा। वहीं केजरीवाल ने अदालत में इन दावों का खंडन किया है, उन्होंने कहा कि वो और सिसोदिया दोनों ही निर्दोष हैं। केजरीवाल ने कहा, ‘मैं निर्दोष हूं, और अन्य आप नेता, जिसमें मनीष सिसोदिया भी शामिल हैं वो भी निर्दोष हैं।’