गर्मी में बाल्टी लेकर सडकों पर घूम रही केजरीवाल की दिल्ली, पॉश कॉलोनी वाले भी डिब्बे…

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दिल्ली में पानी का जबरदस्त संकट पैदा हो गया है। मांग से लगभग 25 से 30 फीसदी पानी की उपलब्धता कम हो गई है। इसका असर यह हुआ है कि दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके ही नहीं, पॉश कॉलोनियों में भी लोगों को पानी के लिए बाल्टी लेकर भटकना पड़ रहा है। दिल्ली के सबसे पॉश एरिया लुटियन जोन में भी कई इलाकों को इस समय पानी के टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। दिल्ली का जल संकट वर्षा शुरू होने के बाद ही सुधरेगा। लेकिन तेज गर्मी से अभी कई दिनों तक राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है और इस बीच पड़ोसी राज्यों से जल उपलब्धता पर कोई सहमति नहीं बनी, तो यह जल संकट कई दिनों तक बने रहने की संभावना है।

सबसे बड़ा कारण
दिल्ली के जल संकट का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां पर पर्याप्त जल क्षेत्र नहीं है। कभी दिल्ली के कुल 1484 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में लगभग 18 वर्ग किलोमीटर इलाका जल क्षेत्र हुआ करता था। इसमें भी सबसे अधिक हिस्सा यमुना के बहाव क्षेत्र का हुआ करता था। यह जल क्षेत्र लोगों की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त हुआ करता था। लेकिन पड़ोसी राज्यों से रोजी-रोटी की तलाश में आए लोगों ने यमुना के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण कर घर बनाना शुरू कर दिया। शेष जल क्षेत्र भी अतिक्रमण का शिकार हुए, जिससे जल क्षेत्र सिकुड़ गया। इसका यह असर हुआ है कि दिल्ली का भूगर्भीय जल स्तर भी बहुत कम हो गया है।

अभूतपूर्व जल संकट के आने का अंदेशा
जल क्षत्र के सिकुड़ने की तुलना में आबादी में कई गुना बढ़ोतरी हो गई है। 2011 में दिल्ली की आबादी 1.1 करोड़ के आसपास थी जो अब लगभग दो करोड़ के करीब हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2028 तक दिल्ली दुनिया का सबसे घनी आबादी वाला शहरी क्षेत्र हो सकता है। 2035 तक दिल्ली (एनसीआर सहित) की आबादी 4.3 करोड़ के लगभग हो सकती है। बेहतर जीवन स्तर के कारण भी जल की मांग में बढ़ोतरी होगी। इससे दिल्ली-एनसीआर में जल का अभूतपूर्व संकट पैदा हो सकता है।

दिल्ली में जल क्षेत्र
दिल्ली में जल क्षेत्र के रूप में सबसे प्रमुख यमुना नदी है। दिल्ली में यमुना लगभग 52 किलोमीटर लंबाई के क्षेत्र में बहती है। लेकिन इसके दोनों किनारों पर लगातार अतिक्रमण हुआ है, जिससे इसका विस्तार क्षेत्र सिकुड़ गया है। अगस्त 2021 तक दिल्ली में 1045 जलाशयों की पहचान हुई थी। 322 पुराने और सूख चुके जलाशयों को दोबारा पुनर्जीवित कर इसे उपयोग में लाये जाने के योग्य बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

इस तरह दिल्ली में कुल लगभग 1367 जलाशयों के होने की बात कही जाती है। लेकिन जल शक्ति मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि इनमें से लगभग एक चौथाई में जल नहीं है। कई जलाशयों के अपने स्थानों पर न होने की खबरें भी आई हैं। यानी पुरानी पहचान को देखते हुए उनकी गिनती तो कर ली गई है, लेकिन उनमें से कई जलाशयों के स्थान पर इमारतें, स्कूल, दुकानें या पार्किंग बन चुकी हैं और इस समय इन स्थानों पर कोई जल क्षेत्र नहीं है।

दिल्ली सरकार ने झीलों के पुनर्निर्माण को लेकर अपनी सक्रियता दिखाई थी। सीलमपुर सहित कुछ इलाकों में 20 झीलों के विकसित करने का दावा किया गया था, लेकिन अब तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। कुछ स्थानों पर कार्य हुआ है, लेकिन उन्हें आधिकारिक तौर पर अभी जल क्षेत्र नहीं घोषित किया जा सका है।

कहां से मिलता है पानी, कितनी कमी?
दिल्ली को प्रतिदिन लगभग 1200 एमजीडी पानी की आवश्यकता होती है। दिल्ली के पास लगभग 900 एमजीडी पानी उपलब्ध हो पाता है। दिल्ली को अपना सबसे अधिक पानी यमुना से मिलता है। हरियाणा से दिल्ली को आने वाली यमुना के दो चैनलों से लगभग 1050 क्यूसेक पानी मिलता है। दिल्ली जल बोर्ड स्वयं भी यमुना के जल का दोहन कर इसे पीने के योग्य बनाता है। कुल मिलाकर यमुना से दिल्ली को लगभग 600 एमजीडी पानी मिलता है।

इसके अलावा रावी और गंगा नदी से भी दिल्ली को पानी मिलता है। अपर गंगा नहर से 254 एमजीडी पानी रोज मिलता है। दिल्ली जल बोर्ड ने राजधानी में जगह-जगह पर रैनीवेल बना रखे हैं। इनसे लगभग 135 एमजीडी पानी का दोहन किया जाता है। लेकिन सभी जल स्रोतों का उपयोग करने के बाद भी प्रतिदिन लगभग 300 एमजीडी पानी की कमी इस समय बनी हुई है। हालांकि, जल विशेषज्ञों का मानना है कि यदि दिल्ली अपने जल शोधन संयंत्रों का बेहतर उपयोग करे तो इस मांग को और अधिक घटाया जा सकता है।