प्यास से मरी मुफ्त पानी वाली केजरीवाल की दिल्ली-बनें ऐसे हालात

Kejriwal's Delhi with free water is dying of thirst, just noise, politics and struggle
Kejriwal's Delhi with free water is dying of thirst, just noise, politics and struggle
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नई दिल्ली: दिल्ली, करोड़ों आबादी को समेटे देश की राजधानी। इसे पिछले कुछ वर्षों से राजनीति की नजर लग गई है। छोटे से छोटे मुद्दों पर सियासी खींचतान, अदालतों में तू-तू, मैं-मैं और इन सबके बीच पिसती जनता। हर कोई जनता के हितों की राजनीति ही कर रहा है। हर किसी का यही दावा है कि जनता की भलाई से ऊपर कुछ भी नहीं। हर नेता, हर दल यही भरोसा दिलाता है- जनता सर्वोपरि, जनहित के लिए सबकुछ समर्पित। आम आदमी, आम आदमी की रट ऐसी लगी है कि एक पार्टी ही आम आदमी के नाम पर आ गई और लगातार सत्ता में है। फिर भी पानी जैसी बुनियादी सुविधा मयस्सर नहीं। जनता भौंचक टुकुर-टुकर ताक रही है, कभी एक तरफ तो कभी दूसरी ओर। उसे समझ ही नहीं आ रहा है कि आखिर सब नेता, सब पार्टी हमारी ही चिंता कर रहा है तो फिर हमारी दशा इतनी चिंताजनक क्यों? ऊपर से कोर्ट-कचहरी भी हमारे हक को लेकर ही लाल हो जाते हैं, लेकिन हमारी हालत तो सुधरने की जगह बिगड़ती ही जा रही है! आम आदमी आखिर करे भी तो क्या, सिवाय सोचने के? फिर यही सवाल बचता है कि पानी पर शोर, सियासत और संग्राम के लिए कहीं दिल्ली की जनता ही कसूरवार तो नहीं?

अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता की दुर्दशा की चर्चा के जरिए राजनीति की दुनिया में कदम रखने के लिए माहौल बना रहे थे, तभी उन्होंने पानी पर लंबी-चौड़ी बातें की थीं। उन्होंने बहुत विस्तार से बताया था कि कैसे दिल्ली में पानी कोई कमी नहीं है। वो तो टैंकर माफिया हैं जो दिल्ली की जनता को मुसीबत में डालते हैं। केजरीवाल बता रहे थे कि कैसे सांसद और विधायक ही टैंकर के जरिए पानी से कमाई करते हैं। वो 10 वर्षों से भी ज्यादा से दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन अब तक टैंकर माफिया के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई? अब वही केजरीवाल जेल से अपनी पत्नी के जरिए संदेश भिजवाते हैं जिसमें दिल्ली में पानी की कमी के लिए पड़ोसी राज्य हरियाणा को कोसते हैं। सुनीता केजरीवाल ने उनका जो बयान पढ़ा, उसमें केजरीवाल कहते हैं, ‘हमारी संस्कृति रही है कि गर्मी में लोग दूसरों को पानी पिलाते हैं। उससे बहुत पुण्य मिलता है। दिल्ली को पड़ोसी राज्यों से पानी मिलता है और उसी से लोगों की प्यास बुझती है। जाहिर है कि इतनी गर्मी में पानी की मांग बढ़ जाती है। इसके लिए ज्यादा पानी की जरूरत है। हमें उम्मीद थी कि इस मुश्किल समय में पड़ोसी राज्यों का सहारा मिलेगा, लेकिन हरियाणा सरकार ने दिल्ली को रोजाना पानी भी कम कर दिया।’

केजरीवाल को पता है कि गर्मी में ज्यादा पानी की जरूरत होती है तो हरियाणा में भी पानी की खपत बढ़ी होगी। फिर वह पानी कहां से दे? दूसरी तरफ मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया। अगर दिल्ली सरकार के दावे में दम होता तो सुप्रीम कोर्ट जरूर हरियाणा पर दबाव डालता कि वो दिल्ली को ज्यादा पानी रिलीज करे। तो क्या, हरियाणा की बीजेपी सरकार पानी के मसले पर बिल्कुल पाक साफ है? फिर दिल्ली में ही केजरीवाल सरकार पर तमाम आरोप मढ़ रही बीजेपी क्या यह कह सकत ही है कि उसने राजनीति के बजाय कुछ समाधान निकालने की चेष्टा भी की है? आपस में जितना गुत्मथगुत्था हो लें, ये जनता सब समझती है। एक तरफ जल मंत्री आतिशी मर्लेना पानी सत्याग्रह पर बैठ गई हैं। वो कहती हैं कि जब तक पानी की समस्या का समाधान नहीं होगा, तब तक उनका अनशन जारी रहेगी। दूसरी तरफ, बीजेपी कहती है कि नाकामियां छिपाने के लिए ऐसे ड्रामे की आड़ ली जा रही है।

सोचिए, अभी टैंकर देखते ही दौड़ पड़ने वाली जनता का क्या हाल होगा जब वजीराबाद का वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बंद हो जाएगा! कहा जा रहा है कि अगर हरियाणा से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं आया तो कुछ दिनों में ही यह प्लांट बंद हो सकता है। अभी हाल यह है कि इस प्लांट को क्षमता से करीब आधा पानी ही मिल रहा है। दिल्ली में पानी की कमी का असली कारण क्या है? क्या यह जलवायु परिवर्तन का असर है या फिर यह सिर्फ प्रशासनिक विफलता का परिणाम है? जल संसाधनों का सही प्रबंधन न होना, यमुना नदी का प्रदूषण, भूमिगत जल की अवैध निकासी, यह सभी मिलकर दिल्लीवालों की परेशानी का कारण बनते हैं। समाधान की दिशा में पहला कदम है सरकार और प्रशासन का सामंजस्य और ईमानदारी से काम। जल संसाधनों का सही प्रबंधन, जल संरक्षण के उपाय, और प्रदूषण नियंत्रण, यह सब मिलकर ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल सकते हैं। कुल मिलाकर, बात यही है कि सियासतदानों की आखों का पानी ही सूख गया है। जल संकट उसका एक नतीजा है।