मुजफ्फरनगर- कंपनी के नाम पर शहर के मोहल्लों से की जा रही है अवैध वसूली

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मुजफ्फरनगर। शहर के 55 वार्डों में नगर पालिका परिषद् के साथ अनुबंध के आधार पर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करा रही दिल्ली की कंपनी एमआईटूसी सिक्योरिटी एंड फैसिलिटी प्रा. लि. के नाम पर कुछ अज्ञात कर्मचारियों के द्वारा विभिन्न मौहल्लों में घर-घर जाकर लोगों ने टिपिंग फीस के रूप में अवैघ रूप से शुल्क वसूली का काम किया जा रहा है। कंपनी के सामने ये बात आई तो ऐसे लोगों को पकड़ने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है। कंपनी का कहना है कि वो इन अज्ञात कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही भी कराने की तैयारी में है। अभी तक तीन वार्डों में ऐसे मामले सामने आये हैं, दावा किया गया है कि करीब 60-70 हजार रुपये लोगों से अवैध रूप से वसूल कर लिये गये हैं।

नगरपालिका परिषद् के द्वारा शहर को सफाई व्यवस्था में आगे लाने के लिए एमआईटूसी के साथ 14 महीनों का अनुबंध किया गया है। कंपनी पालिका क्षेत्र के 55 वार्डों में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के साथ ही डलावघरों से भी कूड़ा निस्तारण का कार्य देख रही है। पालिका कंपनी को प्रत्येक माह करीब 90 लाख रुपये का भुगतान कर रही है, इसके बदले कंपनी डोर टू डोर टिपिंग फीस का कलेक्शन करते हुए पालिका कोष में जमा करायेगी। कंपनी के द्वारा किसी भी नियमितता और धांधली से बचने के लिए टिपिंग फीस वसूलने के लिए कम्प्यूटर आधारित प्रणाली को विकसित किया है। इसके लिए कंपनी के वार्डों में लगे सुपरवाइजर पीओएस मशीन के जरिये ही टिपिंग फीस प्रत्येक घर, दुकान और प्रतिष्ठान से वसूल करने के लिए पीओएस मशीन से कम्प्यूटराइज्ड जमा रसीद लोगों को उपलब्ध करायेंगे। ये पूरा सिस्टम ऑनलाइन सुपरविजन में रखा गया है। कंपनी ने इसी ऑनलाइन सिस्टम के साथ वार्डों से टिपिंग फीस वसूलने का कार्य भी शुरू कर दिया है, लेकिन अब कंपनी के सामने यह मामला प्रकाश में आया है कि कुछ अज्ञात कर्मचारी कंपनी और पालिका की ओर से घर घर जाकर टिपिंग फीस अवैध रूप से वसूलने का काम कर रहे हैं।

एमआईटूसी के परियोजना प्रबधक पुष्पराज सिंह ने बताया कि कंपनी द्वारा शहर में बनाये गये जोन-3 के मौहल्ला गांधी कालोनी, गांधीनगर, नई मंडी, कूकडा, भरतिया कालोनी आदि क्षेत्रों में टिपिंग फीस वसूलने का काम कंपनी के सुपरवाइजर पीओएस मशीन के जरिये कर रहे हैं, लेकिन इसी बीच वार्ड 21, 35 और 36 में जब सुपरवाइजर टिपिंग फीस वसूलने के लिए घर घर पहुंचे तो वहां लोगों ने बताया कि उनके द्वारा तो शुल्क का भुगतान किया जा चुका है। उनके द्वारा सुपरवाइजरों को हस्तलिखित कुछ रसीदें भी दिखाई गई, जो फीस लेने वाले अज्ञात कर्मचारियों ने पैसा लेने के बाद उनको उपलब्ध कराई।

पुष्पराज ने कहा कि कंपनी ने पूरी तरह से टिपिंग फीस वसूलने के लिए ऑनलाइन सिस्टम प्रणाली बनाई है, मैनुअल रसीद फर्जी हैं। उनका कहना है कि कुछ अराजक तत्व वार्डों में कंपनी और पालिका के कर्मचारी बनकर अवैध वसूली करने का काम कर रहे हैं। ऐसे अज्ञात ठगों को पकड़ने के लिए कंपनी के लोगों को लगा दिया गया है। पालिका के अफसरों और कंपनी के एमडी को भी जानकारी उपलब्ध करा दी गई है। उन्होंने कहा कि कंपनी की ओर से ऐसे ठगों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही कराने की तैयारी की जा रही है। अभी तक की जांच में यही सामने आया है कि करीब 60-70 हजार रुपये अवैध रूप से लोगों से इन ठगों के द्वारा वसूल कर लिये गये हैं। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति टिपिंग फीस वसूलने के लिए यदि घर या दुकान पर पहुंचता है तो उसका आई कार्ड मांगे और उसके बाद उससे कम्प्यूटराज्ड जमा पर्ची लें तथा पर्ची उपलब्ध कराने के बाद ही पैसा दिया जाये। यदि कोई ऐसा नहीं करता है तो उसके सम्बंध में तत्काल ही कंपनी के कंट्रोल रूम के नम्बर पर सूचना उपलब्ध करायें।