हिमाचल में द ग्रेट खली के पड़ोसियों ने 500 मीटर गहरी खाई से खींच ली दुर्घटनाग्रस्त कार

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नाहन। क्या आप विश्वास करेंगे, पहाड़ में 500 फीट गहरी खाई में गिरी कार को रस्सों में बांध कर खींचते हुए सड़क तक पहुंचाया जा सकता है। यकीनन, आपका जवाब न हो सकता है। लेकिन आपके जवाब के विपरीत हकीकत में ऐसी घटना हिमाचल के सिरमौर जनपद के शिलाई उपमंडल के नाया पंजोड में हुई है। समूचे विश्व में ताकत का लोहा मनवाने वाले द ग्रेट खली उर्फ दलीप सिंह राणा के पैतृक गांव नैनीधार से करीब 20 किलोमीटर दूर ग्रामीणों ने सामूहिक प्रयास से खाई में गिरी कार को सड़क तक पहुंचा दिया।

ये घटना, शुक्रवार दोपहर की है। करीब दो महीने पहले सड़क हादसे में एक शिक्षक की मौत हो गई थी। हादसे के बाद से ही कार खाई में पड़ी हुई थी। हालांकि, कार पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी, लेकिन इसे निकाला जाना था। ग्रामीणों ने पहले पांवटा साहिब तक क्रेन मंगवाने का प्रयास किया। क्रेन मालिक द्वारा रिमोट इलाके में कार को खाई से निकालने के लिए बड़ी रकम मांगी जा रही थी। इस पर ग्रामीणों ने अपनी हेला प्रथा का एक बार फिर उदाहरण पेश करने की ठान ली। एक ही आवाज में लगभग 150 लोग कार को निकालने के लिए एकत्रित हो गए।

करीब 3 घंटे की मशक्कत के बाद कार को खींचकर खड़ी चढ़ाई में धक्का देकर निकालने में सफलता अर्जित कर ली गई। चूंकि इस घटना से जुड़ा वीडियो भी सामने आ चुका है, लिहाजा हर कोई इसे देखकर आश्चर्यचकित भी हो रहा है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने इस मामले को लेकर कई ग्रामीणों से फोन पर बातचीत की। इस पर ग्रामीणों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हेला प्रथा जारी है। इसमें एक-दूसरे की मदद की जाती है।

बता दें कि इस प्रथा में किसी भी तरह का कोई लेनदेन नहीं होता। जिस परिवार के लिए सामूहिक तौर पर लोग एकत्रित होते हैं, ये उसकी अपनी इच्छा नुसार लोगों के लिए चाय पान की व्यवस्था की जाती है। गौरतलब है कि कुछ माह पहले हरिपुरधार क्षेत्र में भी ग्रामीणों ने हेला प्रथा को लेकर एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया था। एक व्यक्ति की जर्सी गाय खाई में गिरने के कारण जख्मी हो गई थी। इसे निकाल पाना न केवल मुश्किल बल्कि असंभव सा प्रतीत हो रहा था। लेकिन ग्रामीणों ने एकजुटता का परिचय देकर असंभव को संभव कर दिखाया था।

उधर, नाया पंजोड पंचायत के प्रधान लायक राम ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि दुर्घटनाग्रस्त कार को निकालने के लिए क्रेन उपलब्ध नहीं थी। लिहाजा, सब ने एकजुट होकर कार को रस्सियों की सहायता से सड़क तक पहुंचा दिया।