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पटना: बिहार के स्मार्ट बिजली मीटर की चर्चा अब पूरे देश में है। महाराष्ट्र की टीम बिहार आकर यहां के स्मार्ट मीटर मॉडल को समझ रही है। केरल के अधिकारी भी बिहार मॉडल के बारे में जानना चाहते हैं और जल्द ही बिहार का दौरा करेंगे। महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) के चीफ इंजीनियर डॉ. मनीष वाथ और सीजीएम अविनाश हवारे पटना आए। उन्होंने बिहार की बिजली कंपनियों के अधिकारियों से स्मार्ट प्रीपेड मीटर के बारे में जानकारी ली। उन्होंने यह भी जाना कि स्मार्ट मीटर लगाने में क्या-क्या परेशानियां आईं और लोगों को इससे क्या फायदा हुआ।
यूपी-एमपी की टीमें भी कर चुकी हैं बिहार का दौरान
इससे पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की टीमें भी बिहार के स्मार्ट मीटर मॉडल का अध्ययन कर चुकी हैं। यूपी की टीम ने बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी के संबंधित अधिकारियों के साथ इस संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक कर जानकारी ली थी। इसके बाद यूपी की योगी सरकार भी राज्य में प्रीपेड मीटर के लिए सर्वे करा रही है।
बिजली के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाला पहला राज्य बिहार
बोकारो से सेल की टीम भी बिहार आकर स्मार्ट मीटर के बारे में जानकारी ले चुकी है।बिहार स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाला पहला राज्य है। यहां देश में सबसे ज़्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हैं। बिहार के कहने पर ही देश की सरकारी कंपनियों ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने शुरू किए। अब बिहार में आधा दर्जन से भी ज़्यादा कंपनियां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही हैं, जिनमें अडाणी समूह भी शामिल है।
स्मार्ट मीटर के साथ लगा रहता है पुराना मीटर
बिहार ने ग्रामीण इलाकों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की शुरुआत की। बिहार मॉडल की खासियत यह है कि स्मार्ट मीटर लगाने से पहले उपभोक्ता का पुराना बकाया वसूल किया जाता है।कई जगहों से लोगों ने शिकायत की थी कि स्मार्ट मीटर तेज़ चल रहा है। इसके बाद बिजली कंपनी ने यह व्यवस्था बनाई कि नए स्मार्ट मीटर के साथ पुराना मीटर भी लगा रहेगा। इससे लोगों को यह समझने में मदद मिलेगी कि स्मार्ट मीटर सही चल रहा है और उनका बिल ज़्यादा नहीं आ रहा है।