बेटी नाम रखने के लिए झगड़ते रहे पैरंट्स, 3 साल तक बेनाम रही बच्ची, फिर हाई कोर्ट ने यूं सुलझया विवाद

Parents kept fighting over the name of their daughter, the girl remained nameless for 3 years, then the High Court resolved the dispute like this
Parents kept fighting over the name of their daughter, the girl remained nameless for 3 years, then the High Court resolved the dispute like this
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कोच्चि: केरल में एक अजीबो-गरीब घटना सामने आई है। यहां एक बच्ची के नाम को लेकर उसके माता-पिता में असहमति रही। दोनों के बीच झगड़ा होता रहा। तीन साल तक लंबी लड़ाई ऐसी रही कि बच्ची का नाम तक नहीं रखा जा सका। आखिरकार मामला अदालत पहुंचा और केरल हाई कोर्ट ने बच्ची के नाम को लेकर फैसला किया। हाई कोर्ट ने बच्चे के नाम को लेकर हुए विवाद पर माता-पिता का झगड़ा, बेटी का नाम खुद रखकर निपटाया। पीठ ने कहा कि माता-पिता के बीच विवाद को सुलझाने के प्रयास में समय लगेगा और इस बीच, नाम का अभाव बच्चे के कल्याण या सर्वोत्तम हितों के लिए अनुकूल नहीं होगा। अदालत ने कहा, ‘इस तरह के क्षेत्राधिकार के प्रयोग में, बच्ची के कल्याण को सर्वोपरि माना जाता है, न कि माता-पिता के अधिकारों को। अदालत को बच्चे के लिए एक नाम चुनने का कार्य करना होता है।’

क्या बोला हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि नाम चुनते समय, बच्‍चे के कल्याण, सांस्कृतिक विचार, माता-पिता के हित और सामाजिक मानदंडों का अदालत को ध्‍यान रखना चाहिए। अंतिम उद्देश्य बच्चे की भलाई है। अदालत को समग्र परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए एक नाम अपनाना होगा। इस प्रकार, यह अदालत याचिकाकर्ता की बच्‍ची के लिए एक नाम का चयन करने के लिए अपने माता-पिता के अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए मजबूर है।

बर्थ सर्टिफिकेट में भी नाम नहीं
मौजूदा मामले में बच्‍ची के जन्म प्रमाणपत्र पर कोई नाम नहीं था। जब स्‍कूल में उसका दाखिला कराने की बारी आई तो स्कूल अधिकारियों ने उसके लिए एक नाम पर जोर दिया, और उस जन्म प्रमाणपत्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया जिसमें कोई नाम नहीं था। समस्या तब शुरू हुई जब याचिकाकर्ता मां ने बच्चे के लिए ‘पुण्या नायर’ नाम दर्ज करने का प्रयास किया, लेकिन रजिस्ट्रार ने नाम दर्ज करने के लिए माता-पिता दोनों की उपस्थिति पर जोर दिया।

मां का नाम चुना और पिता का आगे जोड़ा
लेकिन अलग हो चुके माता-पिता इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने में असफल रहे, क्योंकि पिता बच्‍ची का नाम ‘पद्मा नायर’ रखना चाहते थे। अदालत ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद कहा कि बच्ची वर्तमान में मां के साथ रह रही है इसलिए मां के सुझाए गए नाम को उचित महत्व दिया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि पिता का नाम भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए क्‍योंकि पितृत्व भी निर्विवाद था।

बच्ची का नाम हुआ पुण्या बालगंगाधरन नायर
इसके आधार पर अदालत बच्‍ची का नाम ‘पुण्या बालगंगाधरन नायर’ या ‘पुण्या बी. नायर’ के नाम पर पहुंची और फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने कहा, ‘नाम पर दोनों पक्षों के बीच विवाद को शांत करने के लिए बच्ची का नाम पुण्‍या रखने का निर्देश दिया जाता है। और नायर के साथ पिता का नाम बालगंगाधर भी जोड़ा जाएगा। इस प्रकार, याचिकाकर्ता की बेटी, जिसका जन्म 12 फरवरी 2020 को चौथे प्रतिवादी के साथ विवाह में हुआ था, को ‘पुण्या बालगंगाधरन नायर’ या ‘पुण्या बी. नायर’ नाम दिया जाता है।’ अदालन ने सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने को कहा।