बिहार की जनता 29 जून के लिए तैयार हो जाइए, दिल्ली से फिर चौंका सकते हैं CM नीतीश कुमार

People of Bihar, get ready for 29th June, CM Nitish Kumar can surprise you again from Delhi
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पटना: जन दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने 29 जून को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। इसे लेकर बिहार में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ तो यह भी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार कार्यकारिणी की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार को सौंपने के लिए मांगों का ज्ञापन तैयार करने का प्रस्ताव दे सकते हैं। कुछ का मानना है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू को कम महत्व वाले विभाग देने से वे खफा हैं। कहने वालों के पास यह भी है कि नीतीश बिहार को विशेष दर्जें का दावा फिर से कर सकते हैं। नीतीश क्या करेंगे, यह उनके पहले के फैसलों से सबको पता है। वे क्या करने वाले हैं, इस बारे में उनके अलावा पार्टी के लोगों भी पता नहीं होता। नीतीश की इसी खासियत ने चर्चाओं को जन्म दे दिया है। हालांकि कुछ दिनों से वे अस्वस्थ हैं। हाल ही में पटना के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज कराया गया। बांह में दर्द की शिकायत पर उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।

नीतीश ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जैसे कयास लग रहे
नीतीश की राजनीति और उनके कामकाज की शैली को समझने वाले जानकार मानते हैं कि नीतीश ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जैसे कयास लगाए जा रहे हैं। उन्हें भी पता है कि 12 सांसदों के भरोसे नरेंद्र मोदी पर दबाव बनाना उनके लिए लाभकारी नहीं है। रही बात बिहार को विशेष दर्जे की मांग की तो नीतीश पहले से ही यह मांग करते रहे हैं। वे इस मांग को तभी उठाते हैं, जब वे एनडीए से बाहर रहते हैं। इस बार वे एनडीए के साथ हैं तो इसकी उम्मीद बेमानी है। वे यह भी जानते हैं कि मांगने से ही कुछ मिलेगा, यह जरूरी नहीं। केंद्र सरकार को अगर कुछ देना ही होगा तो वे इस बाबत पीएम से सीधी बात कर सकते हैं। इसलिए कि वे अब सिर्फ एनडीए के महत्वपूर्ण पार्टनर ही नहीं, बल्कि बिहार में एनडीए की सरकार भी चला रहे हैं।

क्या समय से पहले होंगे बिहार विधानसभा चुनाव?
कुछ लोग तो यह भी कह रहे हैं कि नीतीश कुमार समय से पहले बिहार विधानसभा का चुनाव कराने का फैसला ले सकते हैं। बिहार के जाने माने सीनियर जर्नलिस्ट अरुण पांडेय कहते हैं कि इस सवाल का सीधा जवाब यह है कि पहले चुनाव कराने से उन्हें कोई फायदा नहीं होगा। एनडीए में जिस तरह उनकी पूछ बढ़ी है और उनको अगली बार सीएम बनाने के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ने वाले भाजपा के प्रदेश स्तर के नेता 2025 का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ने की बात कह रहे हैं, उससे साफ है कि उनकी कुर्सी को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। समय से पहले इलेक्शन का लाभ भी उन्हें मिल जाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं। इसलिए कि बेरोजगारों को नौकरी उनकी सरकार ने भले दी है, लेकिन लोगों के दिमाग में यह बात बैठ गई है कि तेजस्वी यादव की पहल से ही यह संभव हो पाया है। नीतीश के लाख दावे के बावजूद कोई मानने को तैयार नहीं कि उनकी वजह से बिहार में नौकरियों की बहार आई है। इसलिए उन्हें समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने पर शायद ही कोई फायदा हो। वे चाहेंगे कि जब लोगों को यह भरोसा हो जाए कि नौकरी मिलने में तेजस्वी की कोई भूमिका नहीं है, तभी उन्हें चुनाव से फायदा हो सकता है।

तो नीतीश ने क्यों बुलाई है कार्यकारिणी की बैठक
अरुण पांडेय बताते हैं कि लोकसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद हर दल समीक्षा बैठकें कर रहा है। बहुत हद तक संभव है कि जेडीयू भी कार्यकारिणी की बैठक में चार सीटों पर हार की समीक्षा करे। कुछ सीटों पर कम अंतर से पार्टी की जीत-हार की भी समीक्षा हो सकती है। नीतीश कुमार का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा। इसलिए यह भी संभव है कि वे कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखें। भाजपा और जेडीयू के बीच महत्वपूर्ण कड़ी रहे संजय झा को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली है। इसलिए बहुत हद तक संभव है कि नीतीश उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बनाने की घोषणा करें। इससे जेडीयू को दो फायदे होंगे। अव्वल तो संजय झा को मंत्री पद न मिलने की भरपाई हो जाएगी और कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में उन्हें भरोसे का आदमी भी मिल जाएगा।