लखनऊ : सरकारी अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों में महिलाओं को मुफ्त खून मिल सकेगा। अगर उनके पास डोनर नहीं भी होगा तो भी उन्हें यह सुविधा देनी होगी। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों के चिकित्सा अधिकारियों को इस व्यवस्था पर अमल करने के लिए कहा है। सरकार अस्पतालों में प्रसव की संख्या बढ़ाने के प्रयास कर रही है। गर्भवतियों का इलाज और उनकी जांच मुफ्त है। गर्भावस्था के दौरान डॉक्टरों की सलाह के अनुसार महिलाएं अगर सेहत पर ध्यान दें तो उन्हें खून चढ़ाने से बचाया जा सकता है। बावजूद इसके कई बार ऐसी स्थितियां हो जाती हैं कि महिलाओं को खून चढ़ाना पड़ता है।
कई बार उनके पास डोनर की व्यवस्था नहीं होती। ऐसे में दिक्कत बढ़ जाती है। इस स्थिति से बचने के लिए सरकारी अस्पतालों में इलाज के साथ ही मुफ्त खून की भी व्यवस्था के आदेश दिए गए हैं। उनपर उस रक्त के एवज में किसी डोनर से रक्तदान करवाने की भी बाध्यता नहीं होगी। अगर वे चाहें तो रक्तदान करवा सकती हैं, उन पर कोई दबाव नहीं डाला जाएगा।
गर्भवतियों की जांच के लिए बजट जारी
नैशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) की तरफ से गर्भवतियों की सामान्य जांच के लिए 20 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इसके अलावा पीएमएसएमए में 3 करोड़ 93 लाख रुपये का बजट गर्भवतियों की अल्ट्रासाउंड जांच के लिए जारी किया गया है। जननी सुरक्षा योजना के तहत 90 फीसदी राशि जिलों को जारी कर दी गई है।