राजस्थान सरकार ढूंढ रही अपने ही पौने तीन सौ कर्मचारी!

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उदयपुर। सरकारी सेवा के पौने तीन सौ ऐसे कार्मिक हैं, जिन्हें खोजा रहा है कि वे अभी कहां तैनात हैं, लेकिन वे मिल नहीं रहे हैं। आप सोच रहे होंगे कि हाइटेक जमाना है कर्मचारियों का सारा डाटा ऑनलाइन है, फिर यह बात समझ से परे हैं, लेकिन ऐसी तस्वीर उदयपुर में सामने आई है। जिले में सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद गरीबों का राशन उठा लेने वाले ऐसे 275 कर्मचारियों की सूची में यह पता नहीं चल रहा है कि ये कार्मिक कहां पदस्थापित है।

रसद विभाग ने ऐसे कार्मिकों को खोजने के लिए तमाम प्रयास कर दिए, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। अब पूरे जिले के ऐसे 275 कार्मिक किस विभाग के कर्मचारी है, यह पता लगाने के लिए राशन डीलरों को जिम्मा दिया जा रहा है कि वे सर्वे कर बताएंगे। डीलर को ऐसे कार्मिकों के राशन कार्ड की जानकारी दी जाएगी और पता करेंगे कि जिनके बारे में पूछ रहे हैं वे सरकारी कार्मिक कहां तैनात है? असल में रिकार्ड में उनके आधार कार्ड व राशन कार्ड से यह पता नहींचल रहा है कि वे किसी विभाग में नौकरी कर रहे हैं। जहां उनका नाम था वहां अभी वे मौजूद नहीं है, उनका वहां से तबादला हो गया, आदि जो भी कारण हो।

गिर्वा… 80
मावली… 02
वल्लभनगर… 05
झाड़ोल… 14
खेरवाड़ा… 78
कोटड़ा… 02
ऋषभदेव… 12
सलूंबर… 20
सराड़ा… 45
कुल… 275

गरीब का गेहूं उठाने वालों का हिसाब

5267 सरकारी कर्मचारी सूची में थे
4925 कार्मिकों का डिस्पोजल किया
275 कार्मिक के विभागों की जांच कर रहे
5.25 करोड़ रुपए की वसूली अब तक हुई
94.77 प्रतिशत की वसूली हो चुकी उदयपुर में
समझें, क्या है वसूली का मामला
असल में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत गरीबों को मिलने वाले गेंहू कुछ सरकारी कर्मचारियों ने भी उठा लिए थे। रसद विभाग ने पूरे जिले में सर्वे कराई जिसमें 5000 से ज्यादा कार्मिक सामने आए। उनके नाम सार्वजनिक कर उनके नाम नोटिस जारी किए गए थे। उपखंड अधिकारियों के जरिए भी वसूली की प्रक्रिया शुरू की थी। ऐसे कर्मचारियों के विरुद्ध भारतीय खाद्य निगम की इकोनोमिक लागत एवं विभागीय खर्चों के आधार पर राशि 27 रुपए प्रति किलो की दर से वसूली की रकम उनके नाम निकाली गई थी।