यूपी में गैर लाइसेंसी हथियारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, आप भी जाने

Supreme Court's big order regarding unlicensed weapons in UP, you also know
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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में गैर लाइसेंसी हथियारों के इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि हथियारों के बेकार इस्तेमाल का ये चलन परेशान करने वाला है. जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच के सामने बागपत में हुई हत्या की घटना में आरोपी की जमानत की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी बागपत में 2017 में हुई हत्या के मामले के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की. इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर जमानत पर रिहाई की गुहार लगाई थी. आरोपी की ओर से दलील दी गई कि पिछले पांच साल से वह जेल में बंद है और ट्रायल धीमी रफ्तार से ही चल रहा है.

बेंच ने जमानत पर सुनवाई की, लेकिन उसे वृहत आयाम देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को 4 हफ्ते में हलफनामे के जरिए ये बताने के लिए कहा कि गैर लाइसेंसी हथियारों की जब्ती के सिलसिले में आर्म्स एक्ट या अन्य समुचित कानून के तहत कब कितने मुकदमे दर्ज किए गए? साथ ही गैर लाइसेंसी हथियारों की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने क्या उपाय किए हैं?

बेंच ने टिप्पणी की है कि अमेरिका की तरह भारत में हथियार रखना बुनियादी अधिकार नहीं है. हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई है. जस्टिस जोसफ ने कहा कि मैं केरल से हूं, लेकिन वहां ये सब अनसुना अनदेखा है. इस पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ये हिंसक हथियार रखना सामंती सोच का परिचायक है. सुप्रीम कोर्ट ने बिना लाइसेंस वाले हथियारों के मामले में राज्यों से विवरण मांगा है.