अनोखी शादी में दुल्हन को लेने बैलगाड़ी से पहुंचा दूल्हा, जो बात कही उस पर नहीं होगा यकीन

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बैतूल. पूरे देश में एक तरफ जहां लोग महंगी और खर्चीली शादी को अपनी शान समझते हैं, वहीं मध्य प्रदेश के बैतूल के एक डॉक्टर ने इन लोगों के सामने मिसाल पेश की है. इस डॉक्टर ने साधारण शादी कर देश के सामने ये आदर्श पेश किया कि उन्हें बदलते दौर में महंगाई की भी फिक्र है, पर्यावरण की भी फिक्र है और पुरातन संस्कृति की भी फिक्र है. उन्होंने समाज को एक अनूठा संदेश देते हुए न केवल शादी का समारोह अपने गांव में आयोजित किया, बल्कि दुल्हन को लेने बैलगाड़ी में रवाना हुए.

बता दें, ये शादी बैतूल के चिचोली ब्लॉक के आदिवासी बाहुल्य गांव असाढ़ी में हुई. इस शादी की जबरदस्त चर्चा हो रही है. क्योंकि, इस शादी में दूल्हे डॉ. राजा धुर्वे ने बैलगाड़ी को ऐसा सजाया कि उसके सामने लग्जरी कार और बग्घियां भी फीकी दिखाई दीं. डॉक्टर राजा पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर, शिक्षक और मोटिवेशनल स्पीकर हैं. इस मौके पर राजा धुर्वे का कहना था कि अपने सामाजिक, सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और लोगों को महंगाई के दौर में सादा जीवन-उच्च विचार सिखाने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था. उनके मुताबिक महंगाई के इस दौर में बैलगाड़ी सबसे सस्ता सुलभ और प्रदूषणमुक्त साधन है. बैलगाड़ी ग्रामीण सभ्यता संस्कृति की पहचान है. इसलिए अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने बैलगाड़ी पर बारात ले जाने का फैसला किया.

यूं सजाया बैलगाड़ी को
इस अनूठी बारात में बैलगाड़ी को खास जनजातीय, लोक-कलाओं से सजाया गया था. दूल्हे की बैलगाड़ी के पीछे चार बैलगाड़ियां और चलाई गईं. इनमें बच्चों और महिलाओं को बैठाया गया था. बारात में जनजातीय लोक नृत्य और लोक वाद्य शामिल किए गए थे, जो आज किसी शादी में देखने को नहीं मिलते. ग्राम असाढ़ी से बैलगाड़ी में निकले दूल्हे राजा जब 3 किलोमीटर दूर दूधिया गांव में अपनी दुल्हन को लेने पहुंचे तो लोग झूम उठे. आज अपने परम्परागत तौर तरीकों से दूर होते जा रहे आदिवासी समुदाय के लिए ये विवाह एक बड़ा संदेश लेकर आया.

लोग होंगे प्रेरित
इस मौके पर दूल्हे के दोस्त रमेश पांसे ने कहा कि यह बात 100 टका सही है कि आधुनिकता और दिखावे के दौर में डॉक्टर राजा धुर्वे जैसे लोग यूथ आइकॉन ही कहे जा सकते हैं, जो उच्च शिक्षित और सक्षम होने के बावजूद सभ्यता-संस्कृति को सहेजने और दिखावे की आदत से लोगों को दूर रहने का संदेश दे रहे हैं. उम्मीद की जा सकती है कि राजा धुर्वे का ये अनूठा प्रयास लोगों को अपनी जड़ों की तरफ लौटने के लिए प्रेरित करेगा.