आने वाला साल होगा 12 के बजाय 13 महीने का, 2 होंगे सावन, 19 साल बाद बन रहा ऐसा संयोग

The coming year will be of 13 months instead of 12, there will be 2 Sawan, such a coincidence after 19 years
The coming year will be of 13 months instead of 12, there will be 2 Sawan, such a coincidence after 19 years
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हम सभी नए साल 2023 में प्रवेश को लेकर उत्साहित हैं। नए साल के आगमन का अहसास एक नई ऊर्जा भर देता है। हम सभी जानने को उत्सुक रहते हैं कि नया साल कितना शुभ होगा या नए साल में क्या खास रहने वाला हैं। सन 2023 Gregorian Calendar के हिसाब से हैं लेकिन कुछ समय बाद ही विक्रम संवत 2080 प्रारंभ होगी यानि हिन्दू विक्रम संवत कैलेंडर के हिसाब से तब हम नव वर्ष में प्रवेश करेंगे। लेकिन खास बात यह है कि Gregorian Calendar से इतर विक्रम संवत 2080 का साल बारह महीनों के बजाय 13 महीनों का रहेगा। क्यों होगा 13 महीनों का यह साल, इस लेख में इसके हर पहलू का जवाब मिलेगा।

13 महीना का होगा यह साल
बता दें कि 2023 में ही पड़ने वाला हिन्दू वर्ष विक्रम संवत 2080 मलमास वाला साल होगा और सावन माह दो माह का रहेगा जिसकी अवधि 59 दिनों की होगी। खास बात ये है कि 19 साल बाद ये संयोग फिर से लौट रहा है जब सावन दो महीने का होगा। हर तीन साल पर एक अतिरिक्त मास होता है जिसे अधिकमास या मलमास के नाम से जानते हैं। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा।

दरअसल, सूर्य मास और चंद्र मास की गणना से ही हिंदू कालेंडर यानी पंचाग बनता है। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है। इसका आगमन सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है। भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है। वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है जो हर तीन वर्ष में लगभग एक मास के बराबर होता है।

मलमास का महत्व
हिंदू धर्म में प्रत्येक माह का अपना एक विशेष महत्व होता है और इसी मलमास का भी खास महत्व है। मलमास जिसे कई जगह अधिकमास भी कहा जाता है यह पूरी तरह भगवान विष्णु को समर्पित होता है. इस माह विधि-विधान के साथ विष्णु भगवान का पूजन किया जाता है. मलमास में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, यानि ऐसे में शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि नहीं किए जाते. लेकिन इसमें पूजा-पाठ, जप, तप, व्रत-उपवास जैसे धार्मिक कार्यों करना बहुत लाभकारी होता है। मान्यता है कि इसमें इस माह में की गई पूजा पाठ दस गुना फल प्रदान करती है। दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा और पूजा के लिए यह माह बहुत शुभ होता है। कहते हैं कि दान-पुण्य करने से मलमास के अशुभ फल समाप्त हो जाते हैं और पापों का नाश होता है।

क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा
अभी तक ज्योतिषीय वैज्ञानिक गड़ना के आधार पर वर्ष विक्रम संवत 2080 के 13 महीनो का होने के कारण के बारे में बात की है लेकिन इससे हट के हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार एक पौराणिक कथा भी प्रचलन में है। आचार्य द्वारा बताई गई पौराणिक कथा के अनुसार मलिन होने की वजह से सभी देवताओं ने इस मास का स्वामी बनने से इनकार कर दिया था तब मलमास ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की, विष्णु जी माह की प्रार्थना से प्रसन्न हुए और इस माह अपना नाम दिया। पुरुषोत्तम भगवान विष्णु को ही कहा जाता है. विष्णुजी ने इस माह को वरदान दिया कि जो भी भक्त इस माह में शिव का पूजन, धर्म-कर्म, भगवत कथा श्रवण, दान-पुण्य करेगा उसे कभी न खत्म होने वाला पुण्य प्राप्त होगा।