बिहार में लोकसभा चुनाव से बदला नंबर गेम, बीजेपी क्या उपचुनाव में कायम रख पाएगी नंबर 1 का रुतबा?

The number game has changed in Bihar since the Lok Sabha elections, will BJP be able to maintain its number 1 status in the by-elections?
The number game has changed in Bihar since the Lok Sabha elections, will BJP be able to maintain its number 1 status in the by-elections?
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बिहार में लोकसभा चुनाव के बाद अब सभी की निगाहें विधानसभा के उपचुनावों पर है. 2024 के चुनाव नतीजे ने बिहार विधानसभा का नंबर गेम बदल दिया है. सूबे के चार विधायकों के सांसद बनने और एक विधायक के इस्तीफे के चलते बीजेपी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. आरजेडी के विधायकों की संख्या 77 रह गई तो बीजेपी विधायकों की संख्या 78 हैं. बीमा भारती के त्याग पत्र के कारण जेडीयू के 44 विधायक बचे हैं. बिहार विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी का इम्तिहान होना है. बीजेपी को राज्य में अपने सियासी ओहदे को बरकरार रखने के लिए उपचुनाव में मशक्कत करनी होगी तो आरजेडी को अपने कोटे की सीटों को हरहाल में जीतना होगा?

बिहार की जिन पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उसमें दो सीट आरजेडी के विधायक के इस्तीफे से खाली हुई है. इसके अलावा जेडीयू-माले-हिंदुस्तान आवाम मोर्चा कोटे की एक-एक सीट रिक्त हुई है. गया, जहानाबाद, आरा, बक्सर और रुपौली सीट पर विधानसभा के लिए उपचुनाव होने हैं. इसमें से चार सीटों के विधायक अब लोकसभा सांसद बन गए हैं, जिसके चलते उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. जेडीयू की रुपौली सीट से विधायक बीमा भारती ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और आरजेडी के टिकट पर पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ी थी.

रुपौली सीट पर 10 जुलाई को उपचुनाव
विधायकों से सांसद बने के चलते रिक्ति हुई चार विधानसभा सीटों की सूचना चुनाव आयोग को भेज दी गई, अब चुनाव आयोग को उपचुनाव की तिथि निर्धारित करेगा. हालांकि, बीमा भारती के इस्तीफे के खाली रुपौली सीट पर 10 जुलाई को उपचुनाव है. माना जा रहा है कि आरजेडी रुपौली सीट से बीमा भारती पर दांव खेल सकती है तो जेडीयू अब नए चेहरे को उतारेगी. ऐसे ही बाकी चार सीट पर भी सियासी संग्राम होने है, जिसमें बीजेपी भी पूरे दमखम के साथ उतरने की तैयारी की है.

बिहार में पहली बार बीजेपी बनी सबसे बड़ी पार्टी
2020 में इमामगंज सीट से हम के नेता जीतनराम मांझी विधायक बने थे. भाकपा माले के सुदामा प्रसाद तरारी सीट से विधायक थे. आरजेडी के सुरेंद्र प्रसाद यादव बेलागंज सीट से और सुधाकर सिंह रामगढ़ सीट से विधायक चुने गए थे. अब चारो ही नेता लोकसभा सांसद चुन लिए गए हैं, जिसके चलते आरजेडी के विधायकों की संख्या 79 से घटकर 77 तो बीजेपी 78 विधायकों के साथ विधानसभा में नंबर-1 बन गई है. बिहार में पहली बार बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी है, जिसके चलते अब इस ओहदे को बरकरार रखने की चुनौती है.

विधानसभा में कौन कितना मजबूत है?
विधानसभा का अंकगणित देखें तो मौजूदा समय में एनडीए, जिसमें बीजेपी के पास 78 विधायक हैं तो जेडीयू के पास 44, हम 3 और एक निर्दलीय है. इस तरह एनडीए के पास कुल विधायकों की संख्या 126 हो रही है. वहीं, इंडिया गठबंधन में शामिल आरजेडी के पास 77, वामपंथी दलों के पास 15 और कांग्रेस के पास 19 विधायक है. इस तरह से् इंडिया गठबंधन को 111 विधायकों का समर्थन है, लेकिन इसमें तीन विधायक बागी होकर एनडीए के पाले में खड़े हैं. इस तरह फिलहाल इंडिया गठबंधन के साथ 108 विधायकों का समर्थन हासिल है.

नंबर वन पार्टी बनने के लिए शह-मात
बिहार में 2020 में विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सत्ता के सिंहासन तक नहीं पहुंच सकी थी. बीजेपी 74 विधायकों के साथ दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी. बिहार में एनडीए के साथ रहते हुए बीजेपी पहली बार जेडीयू से बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. इसके बाद से बीजेपी की कोशिश राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनने की है, जिसके लिए मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के तीन विधायकों को अपने साथ मिला लिया था. इसके चलते बीजेपी के पास 78 विधायक हो गए थे, लेकिन दूसरी तरफ आरजेडी ने ओवैसी की पार्टी AIMIM से जीते पांच में से चार विधायकों को अपने साथ ले लिया था. इसके चलते आरजेडी के विधायकों की संख्या 79 पर पहुंच गई. इस तरह आरजेडी नंबर पर की पार्टी बनी रही.

लोकसभा चुनाव के बाद बदल गया नंबर गेम
लोकसभा चुनाव के बाद बिहार विधानसभा का नंबर गेम बदल गया है. बीजेपी विधानसभा में 78 विधायकों के साथ नंबर वन है तो आरजेडी 77 विधायकों के साथ दूसरे नंबर पर है. सूबे की पांच सीटों पर उपचुनाव है, जिससे तय होगा कि असल में नंबर की बादशाहियत. बीजेपी की कोशिश है कि नंबर वन को ओहदे को हरहाल में बरकरार रखे तो आरजेडी की कोशिश अपने मुकाम को दोबारा से पाने की है.

माना जा रहा है कि उपचुनाव में सीट शेयरिंग के आधार पर जीतनराम मांझी की पार्टी इमामगंज सीट पर अपना उम्मीदवार उतार सकती है. इसी तरह से रुपौली सीट से जेडीयू किस्मत आजमा सकती है. आरजेडी कोटे की 2 और माले की एक सीट खाली हो रही है. 2020 में रामगढ़ और तरीर सीट पर बीजेपी चुनाव लड़ी थी जबकि बेलागंज सीट पर जेडीयू ने अपना उम्मीदवार उतारा था. ऐसे में उपचुनाव में एनडीए में सीट शेयरिंग का यही फॉर्मूला हो सकता है. बीजेपी रामगढ़ और तरारी सीट पर अपने उम्मीदवार उतार सकती है तो बेलागंज सीट पर जेडीयू किस्मत आजमा सकती है.

बिहार की जिन पांच सीटों पर उपचुनाव है, उसमें से एनडीए खेमे की तरफ से बीजेपी दो, जेडीयू दो और एक सीट पर मांझी की पार्टी चुनाव लड़ सकती है. वहीं, इंडिया गठबंधन की तरफ से तीन सीट पर आरजेडी, एक सीट पर माले और एक सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ सकती है. विधानसभा में नंबर वन की पार्टी बने रहने के लिए आरजेडी को अपने कोटे की सीटों को जीतना होगा तो बीजेपी को अपने कोटे वाली सीट पर जीतकर दर्ज कर अपने रुतबे को बरकरार रखने की कवायद करनी होगी? इतना ही नही अगले साल 2025 में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं. ऐसे में दोनों ही गठबंधन की चाहत मुख्य चुनाव से पहले बढ़त हासिल करने के लिए उपचुनाव किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं है.