![There is a 12-hour 'lockdown' in this village of Bihar, everyone leaves their homes and goes to the forest, know why There is a 12-hour 'lockdown' in this village of Bihar, everyone leaves their homes and goes to the forest, know why](https://aajkinews.net/wp-content/uploads/2024/05/Screenshot_92-3.jpg)
- सरकार ने खोला खजाना: महिलाओं को 1500 रुपये महीना, फ्री गैस सिलेंडर, बिजली बिल माफ… - June 29, 2024
- जनता को राहत, पेट्रोल 65 पैसे और डीजल 2 रुपये सस्ता; इस दिन से लागू होंगे नए रेट - June 29, 2024
- Chankya Niti: व्यक्ति की ये आदतें धन आगमन के रास्ते में करती हैं कांटों का काम, अमीर बनने के लिए तुरंत लगा दें विराम - June 29, 2024
बगहा: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बगहा में नौरंगिया गांव है, जहां हर साल एक अनोखी परंपरा मनाई जाती है। पूरे गांव में एक खास दिन ‘लॉकडाउन’ लगता है। गांव के लोग 12 घंटे के लिए दिन में गांव छोड़कर जंगल में चले जाते हैं। गांव पूरा सूना हो जाता है। जंगल में जाकर गांव वाले पूजा-पाठ करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी खुश होती हैं और गांव का बुरा वक्त दूर होता है।
संत बाबा परमहंस को सपने में दिखी देवी मां
बताया जाता है कि बहुत पहले नौरंगिया गांव में अक्सर प्राकृतिक आपदाएं और बीमारियां आती थीं। यहां तक कि हैजा और चेचक जैसी बीमारियां भी फैल जाती थीं। कई बार गांव में आग भी लग चुकी थी। उसी समय गांव के एक संत बाबा परमहंस को सपने में देवी मां दुर्गा दिखाई दीं। देवी मां ने उनसे कहा कि वे पूरे गांव को अपने साथ जंगल ले जाएं। तब से हर साल यह परंपरा निभाई जाती है।
जंगल में सुबह जाकर शाम को लौटते हैं ग्रामीण
नौरंगिया गांव के लोग बैसाख की नवमी के दिन सुबह अपने घरों से निकलकर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के भजनी कुट्टी के जंगल में चले जाते हैं। इस दौरान घरों में ताले भी नहीं लगाते हैं। जंगल में ग्रामीण मां दुर्गा की पूजा करते हैं। गांव वाले मानते हैं कि गांव में खुला घर छोड़कर जाने के बाद देवी मां गांव में आकर घूमती हैं। इसके बाद शाम को सूरज ढलने के बाद ग्रामीण वापस गांव लौट आते हैं। गांव आने के बाद मंदिर से जल लाकर घरों पर छिड़काव करते हैं। फिर सब लोग अपने रोजमर्रा के कामों में लग जाते हैं।
गांव के युवा भी मानते हैं ये परंपरा
लोगों ने बताया कि गांव के सभी लोग, चाहे वे युवा हों या बूढ़े, इस परंपरा का पालन करते हैं। यहां तक कि जो लोग बीमार होते हैं, उन्हें भी जंगल ले जाया जाता है। इस पूरे दिन गांव सुनसान रहता है, लेकिन फिर भी यहां कोई चोरी या कोई गलत काम नहीं होता। गांव में वनवास की इस परंपरा को आज के युवा भी मानते हैं।