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ये बदलाव, क्योंकि सीधे आपसे जुड़े हुए हैं, इसलिए आपको इनके बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है. नियमों की जानकारी न होने से कई बार आदमी को बिना वजह शुल्क चुकाना पड़ सकता है. साथ ही कई बार कुछ कामों की डेडलाइन निकल जाने की वजह से वे काम रूक जाते हैं.
एक जुलाई से अगर मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी के नियम बदल जाएंगे. टेलीकॉम रेगुलेटर TRAI ने सिम स्वैप फ्रॉड को रोकने के लिए सिम कार्ड चोरी होने या डैमेज होने की स्थिति में लॉकिंग पीरिएड को सात दिन तक बढ़ा दिया है. मतलब अब एक दम आपको सिम नहीं मिलेगा, बल्कि इसके लिए सात दिन इंतजार करना होगा.
जुलाई में आपको अपना मोबाइल रिचार्ज कराने पर ज्यादा पैसे देने होंगे. ऐसा इसलिए है क्योंकि रिलायंस जियो, वोडाफोन-आईडिया और एयरटेल ने अपने टैरिफ बढा दिए हैं.
हर महीने की पहली तारीख को पेट्रोलियम कंपनियां एलपीजी सिलेंडर और एटीएफ की कीमतों को संशोधित करती है. ऐसे में एक जुलाई से गैस सिलेंडर पर आपको राहत भी मिल सकती है.
1 जुलाई से क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट के नए नियम लागू हो जाएंगे. इसमें सभी बैंकों को क्रेडिट कार्ड पेमेंट भारत बिल पेमेंट सिस्टम के जरिए से प्रोसेस करना होगा. हालांकि, बैंकों ने अभी तक इन निर्देशों का पालन नहीं किया है. अभी तक सिर्फ 8 बैंकों ने ही बीबीपीएस पर बिल पेमेंट एक्टिव किया है.
अगर आपका पंजाब नेशनल बैंक में खाता है और उसे आपने लंबे समय से यूज नहीं किया है तो वह 1 जुलाई से काम नहीं करेगा. बैंक ने अपने नोटिफिकेशन में कहा है कि 30 अप्रैल 2024 तक जिन खातों को इस्तेमाल किए हुए 3 साल से अधिक का वक्त हो गया है उस तरह के खाते को बैंक अब एक महीने के भीतर बंद कर देगा. बैंक ने ग्राहकों को असुविधा से बचाने के लिए 30 जून 2024 तक की डेडलाइन तय की है.
एक जुलाई से देश में लागू होंगे ये 3 नए कानून
राजनीतिक दबाव के चलते अब तक कई संगीन मुकदमे भी कोर्ट से वापस हो जाते थे, लेकिन एक जुलाई से तीन नए कानून (भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023) लागू होने के बाद यह संभव नहीं होगा। अब न्यायालय में लंबित आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए पीड़ित को कोर्ट में अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिलेगा। न्यायालय पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना मुकदमा वापस लेने की सहमति नहीं देगा।
नए कानूनों में ऐसे कई प्रविधान किए गए हैं, जो न्याय की अवधारणा को मजबूत करते हैं। समयबद्ध न्याय के लिए पुलिस व कोर्ट के लिए सीमाएं भी निर्धारित की गई हैं। अंग्रेजों के बनाए कानून खत्म हुए तो पहली बार छोटे अपराधों में सजा के तौर सामुदायिक सेवा का भी प्रविधान किया गया है। पुलिस विवेचना में अब तकनीक का उपयोग अधिक से अधिक होगा। इसके लिए डिजिटल साक्ष्यों को पारंपरिक साक्ष्यों के रूप में मान्यता दी गई है। ई-एफआइआर व जीरो एफआइआर की भी व्यवस्था की गई है। आतंकवाद व संगठित अपराध जैसे नए विषय भी जोड़े गए हैं।