मेरठ में Rapid Rail स्टेशन से इस बार गिरा पत्थर-बाल-बाल बची जान

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मेरठ। यूआरसी कंस्ट्रक्शन कंपनी के कर्मचारियों की लापरवाही से शताब्दीनगर स्टेशन के नीचे नौ दिनों में दूसरा हादसा हुआ है। शनिवार को संयोग ही रहा कि पत्थर कार के ऊपर गिरा। यदि पत्थर दोपहिया वाहन या पैदल गुजरने वाले किसी व्यक्ति के सिर में लग जाता तो जान चली ही जाती।

हादसे के बाद भी पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया, बल्कि जांच के नाम पर पीड़ित को टरका दिया। यह भी तब जबकि भाजपा कार्यकर्ताओं ने सीओ आफिस पर हंगामा किया। इतना ही नहीं पुलिस ने पुराने में मुकदमे में भी अभी तक कुछ कार्रवाई नहीं की है। स्टेशन के नीचे से गुजरने वाले लोग अब यह कहने लगे हैं कि आप सुविधा देने आए हो या जान लेने।

एनसीआरटीसी ने दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कारिडोर पर स्थित शताब्दीनगर आरआरटीएस स्टेशन के लिए फाउंडेशन का काम चल रहा है। सिर्फ इसी स्टेशन पर नहीं बल्कि शहर में पड़ने वाले सभी स्टेशनों पर काम तेजी से चल रहा है।

इसके बावजूद यूआरसी कंस्ट्रक्शन कंपनी ने दिल्ली रोड को बंद क्यों नहीं किया? उससे भी अहम बात है कि नीचे जाल क्यों नहीं लगाया गया। अगर जाल लगा होता तो पत्थर गिरने के बाद उसमें उलझ कर रह जाता। यह हाल तब है जबकि नौ दिन पहले निर्माणाधीन स्टेशन से लोहे का फ्रेम गिरने से स्कूटी सवार ऋतिक की जान चली गई थी।

नौ दिन पहले भी हुआ था हादसा, लेकिन सबक नहीं
नौ दिन पहले परतापुर के रिठानी से सेल्समैन ऋतिक शर्मा निवासी अमरोहा स्कूटी से लौट रहा था। संजय वन के सामने शताब्दीनगर स्टेशन के ऊपर से उन पर लोहे का फ्रेम गिर गया। घायल ऋतिक को अस्पताल ले गए, जहां उसकी मौत हो गई। परतापुर थाने में ऋतिक के स्वजन ने मुकदमा दर्ज कराया था।

अभी तक उस मुकदमे में पुलिस ने कोई कार्रवाई तक नहीं की। यही कारण है कि स्टेशन पर काम कर रही कंपनी ने भी हादसे से कोई सबक नहीं लिया। सीओ संतोष कुमार का कहना है कि कंपनी के अफसरों को स्टेशन के नीचे सुरक्षा व्यवस्था करने के लिए बुलाया है। उन्हें हिदायत दी गई कि जाल लगाकर ही काम करें।

ऋतिक के स्वजन को नौकरी मिली न इंश्योरेंस की रकम
बहनोई विजय शर्मा ने बताया कि नौ दिन पहले हादसे का शिकार हुए ऋतिक शर्मा के पिता सुरेंद्र अमरोहा में चाट का ठेला लगाते हैं। बेटे की मौत होने से परिवार पूरी तरह से टूट गया है। ऋतिक की नौकरी पर ही अमरोहा में परिवार चलता था। विजय का कहना था कि रोजाना कंपनी के चक्कर लगा रहे हैं।

कभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो कभी मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। अभी तक न तो ऋतिक के भाई को नौकरी मिली और न ही इंश्योरेंस की रकम मिल पाई। पुलिस ने भी अभी तक इस मुकदमे में कुछ नहीं किया। रविवार को ऋतिक का दसवां है। इसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी। उसके बाद ही पुलिस से मिला जाएगा।