राजस्थान में भ्रष्ट अफसर-कर्मचारियों पर टूटी मुसीबत, भजनलाल सरकार ने लिया बडा फैसला

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जयपुर: राजस्थान के भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों की अब जल्द ही छुट्टी होने वाली है। जो अफसर और कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं। साथ ही कुर्सी पर बैठकर सिर्फ नौकरी करने का समय व्यतीत करते हैं। सभी विभागों में कार्यरत ऐसे अफसरों और कर्मचारियों की भी लिस्ट बनाई जा रही है। राज्य सरकार ऐसे कर्मचारियों को जबरन रिटायर करेगी। पूर्व में भी सरकार ऐसे निर्णय लेती आई है। जो अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए। उन्हें नियमानुसार एडवांस वेतन भत्ते देकर सेवानिवृत्त कर दिया गया था। भ्रष्ट और लापरवाह अफसरों की सूची तैयार होने की सूचना के साथ ही अफसरों में खलबली मची हुई है। कई अफसर इसे चेतावनी मानकर अपने आप में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इस सूची से बाहर रहा जा सके।

मुख्य सचिव तैयार करवा रहे लिस्ट
मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सभी विभागों के एसीएस को निर्देश दिए हैं कि वे 15 साल की नौकरी पूरी कर चुके अफसरों को सूची तैयार करें, जो अफसर भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं और जिनके खिलाफ लगातार शिकायतें मिलने के साथ नॉन परफॉर्मिंग रहे हैं। उन अफसरों की लिस्ट बनाई जाए। अतिरिक्त मुख्य सचिवों ने अपने अपने विभाग में ऐसे अफसरों की सूची तैयार करना शुरू कर दिया है। भ्रष्टाचार में लिस्ट में टॉप रहने वाले अफसरों को जबरन रिटायर करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

पहले भी अफसरों को किया जाता रहा है जबरन रिटायर
भ्रष्टाचार में लिप्त रहने वाले और जिन अफसरों का आचरण ठीक नहीं रहा, उन्हें पूर्व में भी जबरन रिटायर किया जाता रहा है। वसुंधरा राजे के कार्यकाल में वर्ष 2018 में सीनियर आईपीएस इंदु भूषण को जबरन सेवानिवृत्ति दी गई थी। उनका आचरण ठीक नहीं रहा। कभी घर में बाल मजदूरों को नौकरी पर रखने, पड़ोसियों से बेवजह झगड़ने और आईपीएस अफसरों से ही बेवजह उलझते रहने के कारण उन्हें कई बार समझाने की कोशिश की गई। हैदराबाद में एक ट्रेनिंग कार्यक्रम के दौरान वे राज्यपाल से उलझ पड़े। बार बार नसीहत दिए जाने के बावजूद उनके आचरण में परिवर्तन नहीं आया तो उन्हें नोटिस देकर रिटायर कर दिया गया। अगस्त 2018 में ही आईएफएस जुल्फिकार अहमद खान को भी जबरन रिटायर किया गया। उन्होंने छह साल तक एसीआर नहीं भरी थी।

जबरन रिटायर करने प्रावधान सेवा नियमों में है
राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के नियम 53(1) के तहत अनिवार्य रिटायरमेंट के प्रावधान पहले से निहित हैं। इन नियमों के तहत सरकार ऐसे किसी अफसर या कर्मचारी को जबरन रिटायर कर सकती है, जिन अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हों। लोक सेवक की जिम्मेदारी ईमानदारी से पूरी नहीं करने और सरकार के कामकाज में लगातार लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त किया जा सकता है। कई अफसर जो सरकारी सेवा में विभाग पर बोझ बन चुके हों। उन्हें जबरन रिटायर किया जा सकता है। ऐसे अफसरों को तीन महीने का नोटिस या तीन महीने की एडवांस सेलेरी देकर सरकार जबरन रिटायर कर सकती है।