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चुनाव आयोग ने गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के होम सेक्रेटरी को हटाने का आदेश दिया है। इसके अलावा चुनाव आयोग की तरफ से मिजोरम और हिमाचल प्रदेश के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन सेक्रेटरी को भी हटाया दिया है। चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के डीजीपी को भी हटाने के निर्देश दिए हैं। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के होम सेक्रेटरी को हटाने के फैसले पर सियासी घमासान मचा हुआ है। यूपी सरकार नहीं चाहती थी कि होम सेक्रेटरी संजय प्रसाद को हटाया जाए।
इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, जिन छह राज्यों में चुनाव आयोग ने सोमवार को गृह सचिवों को हटा दिया, उनमें से उत्तर प्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने अपने अधिकारी संजय प्रसाद को हटाने के खिलाफ दलील दी है। हालांकि, चुनाव आयोग (EC) ने अपना फैसला बदलने से इनकार कर दिया।
CM योगी के भरोसेमंद अधिकारियों में से एक हैं संजय प्रसाद
1995 बैच के आईएएस अधिकारी संजय प्रसाद को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में से एक कहा जाता है। उन्होंने सितंबर 2022 में प्रमुख सचिव (गृह) का पदभार संभाला।
गृह सचिवों को हटाने के आयोग के आदेश के कुछ ही घंटों के भीतर, सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने फैसले का विरोध करते हुए चुनाव आयोग को पत्र लिखा। उन्होंने तर्क दिया कि प्रसाद ने लोकसभा चुनाव की घोषणा होने और आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री कार्यालय का अतिरिक्त प्रभार छोड़ दिया था, इस प्रकार हितों के किसी भी टकराव को समाप्त कर दिया गया।
चुनाव आयोग ने नहीं बदला फैसला
जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने अपने आदेश को दोहराया और चुनाव अवधि के दौरान संजय प्रसाद के उत्तराधिकारी को नियुक्त करने के लिए चुनाव आयोग को तीन नामों का सुझाव देने के लिए कहा। एक सूत्र ने कहा, “आयोग ने राज्य सरकार के रुख पर विचार किया लेकिन अपने आदेश का अनुपालन करने को कहा।” सूत्रों के मुताबिक, जहां सभी राज्यों ने उसी दिन आयोग के आदेश का अनुपालन किया, वहीं उत्तर प्रदेश ने पहले आपत्ति जताई लेकिन अंततः मान गया।
छह गृह सचिवों को हटाने का चुनाव आयोग का फैसला राज्य नौकरशाही और सत्तारूढ़ दल को अलग करने की कोशिश है। यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि कोई भी गृह सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय के संचालन में शामिल नहीं है। एक सूत्र ने कहा कि यह फैसला समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड एकमात्र राज्य थे जहां गृह सचिव भी अपने संबंधित मुख्यमंत्री कार्यालय के कामकाज में शामिल थे।