UP Politics: 2024 चुनाव से पहले बीजेपी का बड़ा दांव, बढ़ेगी अखिलेश-मायावती की मुसीबत!

UP Politics: BJP's big bet before 2024 elections, Akhilesh-Mayawati's trouble will increase!
UP Politics: BJP's big bet before 2024 elections, Akhilesh-Mayawati's trouble will increase!
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Lok Sabha Elections 2024: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने तैयारी तेज कर दी है और इसी के तहत सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उत्तर प्रदेश में बड़ा दांव चला है. अगर भाजपा की ये रणनीति कामयाब होती है तो चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) की मुसीबत बढ़ सकती है. दरअसल, यूपी सरकार (UP Govt) ने विधान परिषद में राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाने वाले 6 सदस्यों के नाम दिए हैं, जिसके जरिए निकाय से लोकसभा चुनाव तक सभी वर्गों को साधने की कोशिश की गई है.

यूपी सरकार (UP Govt) ने विधान परिषद में मनोनीत किए जाने के लिए राज्यपाल को 6 नाम दिए हैं, जिनमें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर (Tariq Mansoor) का नाम शामिल है. बीजेपी ने इसके जरिए मुसलमानों में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की है. इसके अलावा प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्र के बेटे साकेत मिश्रा, रजनीकांत माहेश्वरी, लालजी निर्मल, रामसूरत राजभर और हंसराज विश्वकर्मा को विधान परिषद के लिए मनोनीत किया गया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर (Tariq Mansoor) को विधान परिषद के लिए मनोनीत कर सबको चौंका दिया है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करने के इरादे से यह कदम उठाया है.

बीजेपी (BJP) ने अगले चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक के साथ ही अन्य वोट बैंक को भी साधने की कोशिश की है. राजनीतिक जानकारों के अनुसार, विधान परिषद के लिए 6 नाम मनोनीत कर बीजेपी ने जातीय के साथ ही सामाजिक समीकरण साधने का पूरा प्रयास किया है. तारिक मंसूर के जरिए मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ बनाने को कोशिश है तो वहीं लालजी प्रसाद निर्मल के जरिए दलित वोट बैंक, हंसराज विश्वकर्मा और रामसूरत राजभर के जरिए अन्य पिछड़ा वर्ग, साकेत मिश्रा के जरिए ब्राह्मण और रजनीकांत महेश्वरी के जरिए वैश्य समुदाय को साधने की कोशिश की है.

अखिलेश यादव और मायावती की बढ़ेगी मुसीबत

भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ये रणनीति कामयाब होती है तो अगले चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) की मुसीबत बढ़ सकती है. क्योंकि, भाजपा की नजर इस बार मुस्लिम वोट बैंक के साथ ही दलित वोट और ओबीसी वोट बैंक पर भी है.