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बुलंदशहर। पुलिस ने फर्जी मार्कशीट बनाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का खुलासा किया है। आरोपी 20 हजार में हाईस्कूल, 30 हजार में 12वीं और 80 हजार रुपये में बीटेक की फर्जी मार्कशीट बनाकर देते थे। इसके बाद एक कोरियर कंपनी से लोगों के घर पर कोरियर कराने के बाद कंपनी की वेबसाइट से डाटा भी डिलीट करा देते थे। 2020 से अब तक आरोपी पांच हजार से अधिक लोगों को फर्जी मार्कशीट बनाकर दे चुके हैं। बताया जा रहा है कि यह आंकड़ा और बढ़ेगा, क्योंकि अभी आरोपियों के पुराने रजिस्टर नहीं मिले हैं।
एसएसपी श्लोक कुमार ने बताया कि 26 सितंबर को अनूपशहर के गांव अनीवास निवासी रविंद्र कुमार ने पुलिस को शिकायत देकर बताया था कि 2021 में उसके बेटे ने एक स्कूल से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की थी। इसके बाद भारतीय थल सेना की भर्ती के दौरान उसकी मार्कशीट को फर्जी बता दिया था। मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की तो फर्जी मार्कशीट बनाने वाले एक गिरोह के बारे में जानकारी मिली। अनूपशहर पुलिस ने मामले में जांच करते हुए डिबाई क्षेत्र के एक मकान से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से विभिन्न शिक्षण संस्थान की 167 मार्कशीट, दो लैपटॉप, 16 मोबाइल, 22 एटीएम कार्ड, फर्जी मार्कशीट बनाने के उपकरण, नकदी बरामद की गई है।
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने अपना नाम देवेंद्र सिंह निवासी मोहल्ला मंडी हरदेव डिबाई, दिलीप निवासी मोहल्ला सराय किशनचंद्र डिबाई और राहुल सिमैया निवासी पटेल बाई मुन्ताई मध्यप्रदेश बताया। गिरफ्तार आरोपी राहुल ने पुलिस को बताया कि पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को अच्छे नंबर की मार्कशीट बनाकर देते थे। इसके लिए उन्होंने कीमत तय कर रखी थी और यदि कोई युवक कुछ रुपये कम देने की बात करता था उसे भी मार्कशीट बनाकर दे देते थे। अभी तक वह हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, बीटेक, बीकॉम, बीएससी समेत अन्य कोर्सों की पांच हजार से ज्यादा फर्जी मार्कशीट बना चुके हैं। स्कूल कॉलेज की पुरानी मार्कशीट लेकर उन्हें स्कैन करते थे। उसके बाद मोहर लगाकर लोगों को कोरियर से भेज देते थे, जिससे उसके फर्जीवाड़े की पहचान नहीं हो पाती थी।
फर्जी वेबसाइट से देते थे झांसा, कई राज्यों में हैं कार्यालय
गिरफ्तार आरोपी राहुल ने पुलिस को बताया कि वह गिरोह बनाकर पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम देते हैं। इसके लिए विभिन्न स्कूल-कालेजों की वेबसाइट पर विजिट करने वाले लोगों के फोन नंबर प्राप्त कर उनसे बात कर अच्छे नंबर की मार्कशीट बनवाने का झांसा दिया जाता था। इसके लिए उन्होंने राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु में अपने कार्यालय खोल रखे हैं। बताया कि फर्जीवाड़े में जयपुर व लुधियाना निवासी दो अन्य आरोपी भी उनका सहयोग करते हैं। गिरफ्तार आरोपी देवेंद्र डिबाई के एक निजी स्कूल में 10 साल से अधिक समय तक प्रधानाचार्य के पद पर रहा है। जबकि स्कूल की मान्यता रद्द होने के बाद उसे स्कूल से निकाल दिया गया था। आरोपी के खिलाफ डिबाई थाने में जुआ अधिनियम समेत अन्य मामलों में तीन मुकदमे दर्ज हैं।
20 हजार से अधिक हो सकती है ठगी से पीड़ितों की संख्या
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब समेत अन्य राज्यों में आरोपियों ने पिछले तीन वर्षों में बड़े स्तर पर गोरखधंधा शुरू कर दिया था। पहले आरोपी स्कूल-कालेजों की फर्जी वेबसाइट बनाते थे और फिर लोगों से संपर्क कर उनसे ठगी करते थे। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि जो विद्यार्थी पढ़ाई में अच्छे नहीं होते थे और परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी होती थी, वह आसानी से रकम देने को तैयार हो जाते थे। बताया जा रहा है कि अभी पुलिस करीब 15 फीसदी ही जांच कर सकी है, जबकि पूरी जांच के लिए एसपी देहात के निर्देशन और सीओ अनूपशहर के नेतृत्व में एक एसआइटी का गठन किया गया है। एक माह में एसआइटी जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट एसएसपी को देगी। इसके बाद ही फर्जी मार्कशीट के असली आंकड़ों का खुलासा हो सकेगा।