हेलीकॉप्टर से आकाश में करोड़ों मच्छर क्यों छोड़ रहा है अमेरिका?

Why is America releasing millions of mosquitoes in the sky from helicopters?
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Honeycreeper Birds: अमेरिकी राज्य हवाई में विलुप्त हो रहे दुलर्भ पक्षियों को बचाने के आखिरी प्रयास में आकाश में हेलीकॉप्टर से लाखों मच्छर छोड़े जा रहे हैं. संरक्षणवादियों की उम्मीद है कि बर्थ कंट्रोल वाले कीड़े से मलेरिया बीमारी की वजह से विलुप्त हो रहे हनीक्रीपर को बचाया जा सकता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, द्वीपीय राज्य हवाई में मौजूद चमकीले रंग के हनीक्रीपर पक्षी मलेरिया की वजह से मर रहे हैं. 1800 के दशक में पहली बार यूरोपीय और अमेरिकी जहाजों से पहुंचे मच्छर इन दुर्लभ पक्षियों को शिकार बना रहे हैं. हनीक्रीपर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित न होने के कारण मच्छर द्वारा केवल एक बार काटने के बाद इनकी मरने की आशंका लगभग 90 प्रतिशत हो जाती है.

33 प्रजातियां हो चुकी हैं विलुप्त
रिपोर्ट के मुताबिक, हनीक्रीपर की 33 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और जो 17 बची हैं उनमें से कई अत्यधिक खतरे में हैं. ऐसे में संरक्षणवादियों को चिंता है कि यदि कोई कार्रवाई नहीं की गई तो कुछ एक वर्ष के भीतर अन्य प्रजातियां भी विलुप्त हो सकती हैं. इसलिए अब आकाश में मच्छर छोड़े जा रहे हैं. हर सप्ताह एक हेलीकॉप्टर 2.5 लाख नर मच्छरों को प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले जीवाणु के साथ हवाई राज्य में छोड़ा जाता है जो बर्थ कंट्रोल के रूप में कार्य करता है. अभी तक एक करोड़ से ज्यादा मच्छर छोड़े जा चुके हैं.

450 से पांच हो गई संख्या
माउई द्वीप पर स्थित हलेकाला राष्ट्रीय उद्यान के वन पक्षी कार्यक्रम के कॉर्डिनेटर क्रिस वॉरेन का कहना है कि एक चीज जो सबसे ज्यादा दुखद है कि अगर वह विलुप्त हो गए और हम कोशिश भी ना करें. आप बिना कोशिश किए नहीं छोड़ सकते हैं. राष्ट्रीय उद्यान सेवा के अनुसार, एक हनीक्रीपर, कौआई क्रीपर, या काकिकिकी की आबादी 2018 में 450 से घटकर 2023 में पांच हो गई है. वहीं, कौआआई द्वीप पर जंगल में केवल एक ही पक्षी बचा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, हवाई द्वीप पर मौजूद पक्षी एवियन मलेरिया के साथ विकसित नहीं हुए थे. इसलिए उनमें इसके प्रति बहुत कम प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है. उदाहरण के लिए, स्कार्लेट हनीक्रीप के संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने पर मरने की 90% आशंका होती है. इसके अलावा शेष पक्षी भी आम तौर पर 1,200-1,500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर रहते हैं, जहां एवियन मलेरिया परजीवी वाले मच्छर नहीं रहते क्योंकि यह बहुत ठंडा है.