थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों के लिए रक्तदान क्यों है जरूरी? एक्सपर्ट से जानें

Why is blood donation important for patients suffering from thalassemia? Know from the expert
Why is blood donation important for patients suffering from thalassemia? Know from the expert
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थैलेसीमिया, एक ऐसा खतरनाक खून से जुड़ी की बीमारी, जो बच्चों को जन्मजात रूप से प्रभावित करता है. इस बीमारी में, शरीर पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता, जिसके कारण थकान, कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ और बार-बार संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं. गंभीर मामलों में, थैलेसीमिया रोगियों को नियमित रूप से खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है. रक्तदान ही इन मरीजों के जीवन को बचाने का एकमात्र सहारा है. आज हम इस लेख में थैलेसीमिया रोगियों के लिए रक्तदान के महत्व को समझेंगे. साथ ही, एक्सपर्ट से जानेंगे कि रक्तदान कैसे कर सकते हैं और थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की जिंदगी में उम्मीद की किरण जला सकते हैं.

पब्लिक हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन (एनएचएसआरसी) के एडवाइजर डॉ. के मदन गोपाल ने बताया कि एक पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट के नाते मैं जानता हूं कि स्वास्थ्य समस्याओं का व्यक्तियों और परिवारों पर गहरा प्रभाव पड़ता है. विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर स्वैच्छिक रक्तदान की वकालत कर रहा हूं ताकि खून की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को पाटा जा सके और थैलेसीमिया देखभाल के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके. थैलेसीमिया भारत में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता है, जो कई व्यक्तियों और परिवारों को प्रभावित करती है. इसे मैनेज करने और इसके प्रभाव को कम करने के लिए अक्सर निरंतर चिकित्सा ध्यान और व्यापक हेल्थ केयर स्ट्रेटेजी की आवश्यकता होती है.

भारत में थैलेसीमिया की चुनौतियां
मेडिकल साइंस में प्रगति और चल रही पहलों के बावजूद, भारत में कई थैलेसीमिया मरीजों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियां अभी भी काफी गंभीर हैं. इनमें जागरूकता की कमी, समय पर निदान और पर्याप्त उपचार सुविधाओं का अभाव शामिल है. इन मुद्दों को संबोधित करना सिर्फ एक ऑप्शन नहीं है बल्कि एक जरूरी आवश्यकता है जिसमें लेजिस्लेटिव, मेडिकल और सामाजिक हस्तक्षेप शामिल हैं.

कंसोलिडेटेड ब्लड लॉ की आवश्यकता
कंसोलिडेटेड ब्लड लॉ लाना सिर्फ एक सुझाव नहीं है, बल्कि यह एक आवश्यकता है. यह व्यापक कानून थैलेसीमिया मरीजों के लिए एक जीवन रेखा है, जो ब्लड ट्रांसफ्यूजन की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और एचआईवी और हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) जैसे ट्रांसफ्यूजन-ट्रांसमिटेड इंफेक्शन से होने वाली मौत को रोकता है. इस कानून को पूरे भारत में एचआईवी, एचसीवी और अन्य संक्रमणों के लिए न्यूक्लिक एसिड टेस्टिंग (एनएटी) के उपयोग को अनिवार्य करना चाहिए. इस तरह के उपाय सुरक्षित खून की आपूर्ति की गारंटी देंगे और ब्लड ट्रांसफ्यूजन से होने वाली बीमारियों और समस्याओं के खतरे को कम करके थैलेसीमिया मरीजों के जीवन की क्वालिटी में उल्लेखनीय सुधार करेंगे.

एडवोकेसी ग्रुप का समर्थन
थैलेसीमिया पेशेंट एडवोकेसी ग्रुप जैसे संगठन न केवल थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्तियों के समग्र हितों की रक्षा के लिए समर्पित हैं, बल्कि वे थैलेसीमिया के खिलाफ हमारी लड़ाई की रीढ़ हैं. वे इस स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने, बेहतर हेल्थ केयर और लेजिस्लेटिव सपोर्ट की वकालत करने और थैलेसीमिया मरीजों को आवश्यक देखभाल प्रदान करने में महत्वपूर्ण हैं.