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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पेपर लीक मामलों ने लगातार सरकार की परेशानी बढ़ाई है। युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ और इससे उनमें पनपते आक्रोश को देखते हुए सरकार का ध्यान इस गंभीर चिंता पर गया है। इस समस्या को दूर करने के लिए योगी सरकार अब कड़े कानून लाने जा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर युवाओं से कहा है कि यूपी में होने वाली भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक रोकने के लिए जल्द ही नया कानून लाने जा रहे हैं। किसी भी कीमत पर युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ स्वीकार नहीं करेंगे। दरअसल, यूपी में लोकसभा चुनाव से पहले हुए सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने का मामला खासा गरमाया था। अब सीएम योगी ने कहा है कि युवाओं के खिलाफ काम करने वाले नकल माफियाओं पर सख्त कार्रवाई होगी। अगर वे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करेंगे तो हम भी उनके साथ कोई नरमी नहीं बरतेंगे। गृह और न्याय एवं कानून विभाग को भी संभालने वाले सीएम योगी ने साफ कर दिया है कि नकल रोधी कानून का प्रारूप तैयार हो रहा है।
यूपी पुलिस कॉन्स्टेबल परीक्षा में करीब 40 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। पेपर लीक केस ने विपक्ष को एक मौका दे दिया। सरकार को घेर लिया गया। भाजपा की लोकसभा चुनाव में यूपी में करारी हार के बाद समीक्षा बैठक में युवाओं की नाराजगी का मुद्दा सामने आया है। पेपर लीक से होने वाले प्रभाव का भी चुनावी रिजल्ट पर असर पड़ने की आशंका जताई गई है। लगातार पेपर लीक मामलों से युवाओं में नाराजगी बढ़ी थी। ऐसे में सीएम योगी आदित्यनाथ ने पेपर लीक मामलों में नया और सख्त कानून बनाने का ऐलान कर युवाओं के मन में भरोसा बढ़ाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसी क्रम में नकल रोधी कानून को अब अमली जामा पहनाए जाने की तैयारी है।
कानून के मसौदे में क्या-क्या?
सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से घोषणा के बाद माना जा रहा था कि न्याय एवं विधि विभाग और गृह विभाग मिलकर नकल रोधी कानून का मसौदा तैयार करेंगे। कानून का मसौदा तैयार किए जाने के बाद इसे सीएम योगी आदित्यनाथ के समक्ष रखा जाएगा। अब खबर है कि मसौदा बनकर लगभग तैयार है। सीएम योगी स्वयं इस संबंध में साफ कर चुके हैं। नकल रोधी कानून तैयार करते समय अन्य राज्यों के कानून की भी समीक्षा की गई। उम्मीद की जा रही है कि उत्तर प्रदेश का नकल रोधी कानून अन्य राज्यों से काफी कड़ा होगा। अगर यूपी सरकार राजस्थान मॉडल को अपनाती है तो यूपी में तैयार किए जा रहे कानून में पेपर लीक के आरोपियों को उम्र कैद की सजा और 10 करोड़ रुपये जुर्माना का दंड लागू किया जा सकता है।
नकल माफियाओं पर गैंगस्टर जैसे एक्ट लगाए जा सकते हैं। नकल रोधी कानून अगर गैंगस्टर के दायारे में आए तो नकल माफियाओं की संपत्ति पर बुलडोजर भी चल सकता है। आर्थिक नुकसान की भरपाई उनकी संपत्तियों को जब्त कर की जा सकती है। वैसे सीएम योगी आदित्यनाथ ने पेपर लीक को रोकने के लिए तत्काल अधिकारियों को कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
परीक्षा केंद्रों के निर्धारण पर सतर्कता
सीएम योगी आदित्यनाथ ने नकल रोकने के लिए परीक्षा केंद्रों के निर्धारण पर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि चयन परीक्षाओं के लिए राजकीय माध्यमिक स्कूल, डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों के परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। इसके अलावा स्वच्छ रिकॉर्ड वाले वित्तपोषित शैक्षिक संस्थानों में ही केंद्र बनाने का निर्देश दिया गया है। सीएम ने साफ कहा है कि परीक्षा केंद्र वहीं बने, जहां सीसीटीवी की व्यवस्था हो। परीक्षा केंद्र शहरी क्षेत्र में बनाए जाएं। परीक्षा केंद्रों में महिलाओं और दिव्यांगों की सहूलियत का विशेष ध्यान रखा जाए। ऐडेड कॉलेज में केंद्र बनाए जाने की स्थिति में साफ किया गया है कि इनके प्रबंधक परीक्षा व्यवस्था में कहीं भी शामिल न हों।
कमजोर है नकल रोधी कानून
यूपी में अभी लागू नकल रोधी कानून काफी कमजोर है। इसके तहत आरोपी को आसानी से जमानत मिल जाती है। यूपी में वर्ष 1998 में बने नकल रोधी कानून के तहत कार्रवाई होती है। इसमें 1 से 7 साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माने तक का प्रावधान है। दरअसल, यूपी में पिछले 7 साल में हुई 8 भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हुए हैं। सबसे पहले योगी सरकार में पेपर लीक का मामला 2017 में आया था। यूपी एसआई भर्ती परीक्षा 25- 26 जुलाई 2017 को हुई थी। 3307 पदों के लिए निकली वैकेंसी में करीब 1 लाख 20 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इस परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। वहीं, 2018 में यूपीपीसीएल की ओर हुई जेई भर्ती परीक्षा, नलकूप ऑपरेटर भर्ती परीक्षा और आरओ- एआरओ भर्ती परीक्षा का भी पेपर लीक हुआ।
वहीं, यूपीएसएसएससी की जुलाई 2018 में हुई 14 विभागों की वैकेंसी का पेपर भी लीक हो गया था। इसमें 67 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे। वहीं, 17-18 फरवरी 2024 को हुई यूपी पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा का भी पेपर लीक हुआ। 60,244 पदों के लिए आई वैकेंसी में 40 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इनके अलावा यूपीएसएसएससी पीईटी और यूपीटेट के पेपर भी लीक हुए। इन पेपर लीक के कारण सरकार की छवि पर प्रभाव पड़ा है।
केंद्र भी बना रहा है कानून
केंद्र सरकार की ओर से पेपर लीक और नकल पर लगाम लगाने के लिए 5 फरवरी को लोकसभा में एक विधेयक पेश किया गया। इसमें परीक्षाओं में गड़बड़ी करने वालों को कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 साल की जेल की सजा और एक करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान। है यह बिल लोकसभा से पास हो चुका है। राज्यसभा में इसे पेश किए जाने की तैयारी है। इसके बाद राष्ट्रपति के पास इसे भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून का रूप लेगा।
भर्ती प्रक्रिया बनाई जाएगी पारदर्शी
सीएम योगी ने साफ किया है कि भर्ती प्रक्रिया में व्यापक बदलाव करते हुए पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाया जाएगा। भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक की आशंका हर स्तर पर खत्म की जाएगी। यह युवाओं के भविष्य का मामला है। इससे जो खिलवाड़ करेगा, उसके साथ हम भी वैसा ही करेंगे। दरअसल, फरवरी महीने में हुए पुलिस भर्ती और समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद सीएम योगी ने सख्त कानून के संकेत दिए थे। अब सीएम ने कहा है कि इससे संबंधित प्रारूप तैयार कर लिया गया है। इस कानून में नकल माफियाओं के खिलाफ सख्त प्रावधान किए गए हैं।
सीएम योगी ने साफ कहा है कि नए कानून में पर्चा लीक में लिप्त होने वाले आरोपी के खिलाफ काफी कठोर कार्रवाई के प्रावधान होंगे। सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाई जा रही है। हमने पहले भी कहा है कि जो युवाओं के भरोसे से खिलवाड़ करेगा, उसे छोड़ेंगे नहीं। हमने पूरी पारदर्शिता के साथ भर्तियां कीं। इनमें 6.5 लाख युवाओं को रोजगार मिला। पुलिस और लोकसेवा आयोग की भर्ती परीक्षा मामले में हमने कड़ी कार्रवाई की। हमने निर्देश दिा है कि सभी आयोग और बोर्ड में पारदर्शिता के साथ भर्तियां हों।
संविदाकर्मियों को लेकर बनेगी नीति
सीएम योगी ने कहा कि हमें प्रदेश के युवाओं योग्यता और क्षमता पर पूरा भरोसा है। हम राज्य के युवाओं को स्वावलंबन और स्वरोजगार से जोड़ने पर काम करेंगे। संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मियों का जिक्र करते हुए सीएम योगी ने कहा कि उन्हें शोषण से बनाने के लिए सरकार नीति बनाएगी। संविदाकर्मी हमारी प्राथमिकता में हैं। हमारा मानना है कि न्यूनतम मानदेय किसी भी कार्मिक को प्राप्त होना चाहिए। सेवा प्रदाता किसी भी कर्मी के मानदेय से पैसा न काटे। इसको लेकर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमिटी गठित की गई है। जल्द ही हमें समिति की सिफारिशें मिल जाएंगी। इस पर काम करेंगे।