हिमाचल में बेकाबू होते कोरोना मामलों पर सरकार को सदन में घेरेगी कांग्रेस

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शिमला: हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमण काबू में नहीं आ रहा है, लगातार मामले बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश सरकार दावा करती है कि राज्य में कोरोना वायरस के मामलों पर काबू पा लिया है। सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए मेकशिफ्ट अस्पताल सहित आधारभूत ढांचा विकसित किया गया है। लेकिन लोगों की लगातार हो रही मौत का मामला कांग्रेस ने विधानसभा में उठाने की पूरी तैयारी कर ली है। विपक्षी कांग्रेस ने कोरोना वायरस की स्थिति पर सरकार को घेरने के लिए विधानसभा में चर्चा के लिए प्रस्‍ताव लाने की पूरी तैयारी की है। इसके लिए विधानसभा सचिवालय को प्रस्ताव दिया गया है।

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का कहना है कि प्रदेश सरकार कोरोना वायरस की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से नाकाम रही है। राज्य में स्वास्थ्य संस्थानों का आधारभूत ढांचा पहले से पर्याप्त है। इसके अलावा सरकार ने मेक शिफ्ट हस्पताल भी बनाए हैं। लेकिन कोरोना वायरस के मामले नियंत्रण में नहीं आ रहे हैं।

उनका कहना है लाखों की संख्या में प्रदेश के लोग बेरोजगार हुए हैं। प्रदेश के गरीब लोगों के सामने और रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। लेकिन प्रदेश सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है। विधानसभा के मानसून सत्र में कोरोना संक्रमण की स्थिति को लेकर होने वाली चर्चा में सरकार को अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा। दो दिन के अवकाश के बाद दोपहर दो बजे से विधानसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही शुरू होगी।

शिमला। विधानसभा में कांग्रेसी विधायकों द्वारा प्‍वाइंट ऑफ़ आर्डर को हथियार बनाकर के हर तरह के मामले उठाए जाते रहे हैं। लेकिन मानसून सत्र के दूसरे सप्ताह के दौरान संभवत विपक्षी विधायकों को प्‍वाइंट ऑफ आर्डर का लाभ नहीं मिल पाएगा, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार पिछले सप्ताह कांग्रेस विधायकों द्वारा प्रदेश के मुख्य सचिव अनिल खाची को हटाए जाने का मामला प्वाइंट आफ ऑर्डर के तहत उठाए जाने से नाराज थे। मुकेश अग्निहोत्री सहित कांग्रेस के कई विधायकों ने इस मामले को विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाया था। इस पर विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा था कि कांग्रेसी विधायकों ने प्‍वाइंट ऑफ़ आर्डर का गलत इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा था प्‍वाइंट आफ आर्डर का इस्तेमाल राज्य में घटित हो रही ज्वलंत और एवं विशेष घटनाओं के संदर्भ में किया जाना चाहिए। लेकिन विपक्षी सदस्य अनावश्यक तौर पर इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। इसलिए ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि आज विधानसभा सत्र के दौरान विपक्षी सदस्यों को प्रश्नकाल के बाद प्‍वाइंट ऑफ आर्डर के तहत मामले उठाने का मौका शायद न मिले।