हिमाचल में सरकार ने की अनदेखी तो, पूर्व सैनिकों ने खुद बना दी सड़क

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बिलासपुर : हिमाचल प्रदेश सरकार ने अनदेखी की तो पूर्व सैनिकों ने सदर विधानसभा क्षेत्र के सरयूण चलैहली गांव तक खुद ही ढाई किलोमीटर सड़क का निर्माण करवा दिया। इस पर तीन लाख रुपये खर्च आया है। पूर्व सैनिकों ने कुछ ग्रामीणों को साथ लेकर जमथलीघाट, बाहन, सिंबलु तथा प्लान के गांवों को सड़क से जोड़ा। ये गांव आजादी के बाद भी सड़क से महरूम थे।

जन प्रतिनिधियों को कई बार सड़क बनाने को लेकर ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। पूर्व सैनिक राजेश कुमार ठाकुर ने बताया कि गांव जमथलीघाट, बाहन, सिंबलू तथा प्लान के लोगों को आजादी के 75 वर्ष के बाद भी सड़क से नहीं जोड़ा गया था। कांग्रेस तथा भाजपा सरकारों से ग्रामीण सड़क बनाने की मांग करते रहे। कई बार सड़क निकालने के प्रयास भी हुए, लेकिन हर बार कोई न कोई अड़चन आने से मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

बीमार होने की स्थिति में मरीजों को पालकी में अस्पताल पहुंचाना पड़ता था। समय पर अस्पताल न पहुंचने से तीन से चार लोगों की मौत भी हो चुकी है। इनमें एक पूर्व सैनिक सरवन कुमार भी थे। राजेश ठाकुर ने बताया कि वह कई बार केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर तथा मुख्यमंत्री को भी गांव को सड़क से जोड़ने के लिए पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

सड़क बनाने का बीड़ा जमथलीघाट के पूर्व सैनिक रमेश चंद ने उठाया। निर्माण कार्य हिडिंबा देवी मंदिर से शुरू किया, लेकिन कुछ जमीन विवादित होने से काम रुक गया। जो सड़क निकाली थी, भारी वर्षा से कई जगह डंगे गिर गए, लेकिन रमेश चंद ने हार नहीं मानी। दोबारा ग्रामीणों की बैठक बुलाई और पूर्व वार्ड मेंबर दीनानाथ को कामकाज संभालने की जिम्मेदारी दी। फिर सड़क का काम शुरू कर दिया। ग्रामीणों और पूर्व सैनिकों ने खुद पत्थरों को तोड़कर इस सड़क को बनाया। जेसीबी का खर्चा भी खुद उठाया।

सड़क बनाने में पूर्व सैनिक रमेश चंद, राजेश ठाकुर, कैप्टन सुख लाल, पूर्व वार्ड मेंबर दीनानाथ, सुरेश कुमार, किशोरी लाल, प्रताप सिंह, जगदीश सिंह, रोशन लाल, मंजीत सिंह, विवेंदर ठाकुर तथा लवनीश कुमार का भी सहयोग रहा। पूर्व सैनिकों ने विधायक सुभाष ठाकुर से मांग की है कि जल्द इस क्षेत्र का दौरा कर सड़क को लोक निर्माण विभाग के अधीन करवाएं। उधर, विधायक सुभाष ठाकुर ने कहा कि विधानसभा के मानसून सत्र का समापन होने के बाद वह मौके का मुआयना करेंगे। अगर उनसे मिलने के लिए उक्त गांवों के लोग आते हैं तो उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा।