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नई दिल्ली: अखिलेश यादव से लेकर उमर अब्दुल्ला तक ने पिछले दिनों INDIA गठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात न होने पर चिंता जताई थी। उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। हम फिर बैठेंगे और मिलकर आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे। इसके बाद इसी सप्ताह अखिलेश यादव की पार्टी ने साफ कर दिया कि हम 65 सीटों पर लड़ेंगे। इसके बाद बाकी 15 को कांग्रेस, आरएलडी और अपना दल कमेरावादी जैसे दलों के लिए छोड़ा जाएगा। इससे साफ था कि कांग्रेस भले मामले को टाल रही है, लेकिन सपा जैसे दल अपनी रणनीति पर आगे बढ़ चुके हैं।
यह चिंता गुरुवार को तब और बढ़ गई, जब बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि INDIA गठबंधन में कुछ काम नहीं हो रहा है। उन्होंने पटना में सीपीआई की रैली को संबोधित करते हुए कहा कि हमने कांग्रेस को आगे किया था, लेकिन उसे तो 5 राज्यों के चुनाव से ही फुर्सत नहीं है। गठबंधन का तो काम ही नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट को मिलकर ही नेतृत्व करना है। कांग्रेस ने नीतीश कुमार के बयान पर शाम तक रिएक्शन दिया और कहा कि 5 राज्यों के चुनाव बेहद अहम हैं, उसके बाद हम इस पर विचार करेंगे।
नीतीश की बात का जवाब बिहार से ही आया
नीतीश की बात का जवाब बिहार कांग्रेस चीफ अखिलेश प्रसाद सिंह की तरफ से ही आया। उन्होंने कहा, ‘राज्यों से ही देश बनता है। लोकसभा के चुनाव तो अभी दूर हैं और उससे पहले 5 राज्यों के चुनाव हैं। इसलिए कांग्रेस उनमें बिजी है और वहां से फ्री होते ही लोकसभा सीटों के बंटवारे पर बात होगी।’ हालांकि कांग्रेस के रणनीतिकारों का कहना है कि सीट शेयरिंग में देरी की वजह व्यस्तता नहीं है। इसकी वजह रणनीतिक है। दरअसल कांग्रेस चाहती है कि विधानसभा चुनाव में जीत के बाद यदि INDIA गठबंधन में सीटों पर बात होगी तो उसकी मोलभाव की ताकत ज्यादा होगी।
क्यों यूपी-बिहार से ज्यादा तीन राज्यों तो अहम मान रही कांग्रेस
कांग्रेस को लगता है कि उसकी छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश में अच्छी संभावनाएं हैं। इसके अलावा तेलंगाना और राजस्थान में भी वह कमजोर नहीं है। इसलिए चुनाव में यदि उसके लिए अच्छे नतीजे आए तो फिर सीट शेयरिंग के दौरान उसकी बात में वजन होगा। यूं भी यूपी और बिहार में उसका संगठन बेहद कमजोर है और उससे पहले वह मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही फोकस कर रही है। इसकी वजह यह है कि यहां वह भाजपा से सीधी लड़ाई में है। यहां यदि विधानसभा में वह मजबूत रही तो लोकसभा में भी फायदा मिलेगा। ऐसे में वह अपने लिए ज्यादा संभावनाओं वाले राज्यों पर पहले फोकस कर रही है।