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देहरादून. विधानसभा चुनाव 2022 से करीब पांच महीने पहले उत्तराखंड में दलबदल की सियासत चरम की ओर बढ़ने के दौर में एक तरफ राजनीतिक दल एक दूसरे को तोड़ने के दावे कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ, पार्टियों के वफादार नेता और कार्यकर्ता भड़क उठे हैं. विरोधी पार्टियों के नेताओं के शामिल होने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में अंदरूनी तकरार से उत्तराखंड की सियासत के समीकरण बदलते हुए दिख रहे हैं. बानगी के तौर पर महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता वर्मा ने विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर पार्टी से दो टूक कह दिया है कि वह चुनाव लड़ने को लेकर अपनी सीट से कोई समझौता नहीं करेंगी.
सरिता आर्य ने दी ‘विकल्पों’ की धमकी
आर्य ने ट्वीट करते हुए अपना दुख, चिंता और चेतावनी साथ में ज़ाहिर कीं. उन्होंने लिखा कि विपरीत स्थितियों में उन्होंने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा रखी और पार्टी को मज़बूत करने का काम किया. लेकिन जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है, उसके बाद उनके पास कई विकल्प खुले हैं. इस ट्वीट के बाद न्यूज़18 के साथ बातचीत करते हुए पूर्व विधायक सरिता आर्य ने साफ तौर पर कहा कि वह टिकट के मामले में कोई समझौता नहीं करेंगी.
हालांकि भाजपा सरकार में मंत्री यशपाल आर्य और नैनीताल से विधायक संजीव आर्य के कांग्रेस में आने का स्वागत तो किया, लेकिन नैनीताल से विधायक रह चुकीं और आगामी चुनाव लड़ने के लिए तैयारी कर रहीं सरिता आर्य ने अपनी सीट पर संकट मंडराता देख खुली चुनौती भी दे डाली.
भाजपा में भी टिकट को लेकर तकरार
विरोधी पार्टियों के खिलाफ पिछले पांच सालों से तैयारी कर रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने दलबदल से समस्या यह खड़ी हो गई है कि अब विरोधी नेता ही उनकी पार्टी में हैं, जिनके खिलाफ वह सालों से ज़मीन तैयार कर रहे थे. भीमताल से विधायक रामसिंह कैड़ा के भाजपा में जाने के बाद भी पार्टी के भीतर यही स्थिति बन रही है. कैड़ा कह चुके हैं कि वह चुनाव ज़रूर लड़ेंगे इसलिए तैयारी कर रहे भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में नाराज़गी है, हालांकि अभी खुलकर विरोध सामने नहीं आया है.