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Umrah Hajj Niyam: साल 2024 की हज यात्रा 14 जून से शुरू हो रही है, जो कि 19 जून तक चलेगी. मान्यता है कि शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हर मुस्लिम व्यक्ति के लिए जीवन में एक बार हज जरूर करना चाहिए. हज यात्रा खुद को अल्लाह से जोड़ने या उसके करीब आने का मार्ग समझा जाता है.
6 दिन की होती है हज
हज यात्रा धुल हिज्जाह के आठवें दिन की शाम से शुरू होती है और ईद-अल-अजहा के 3 दिन बाद तक चलती है. धुल हिज्जाह इस्लामिक कैलेंडर का आखिरी महीना होता है.
हज यात्रा का महत्व
हज यात्रा को इस्लाम के पांच मुख्य स्तंभों में शामिल किया गया है. अल्लाह के प्यारे पैगंबर मुहम्मद ने भी हज किया था. इसे हज्जतुल-विदा कहा जाता है.
हज यात्रा के नियम
इस्लाम में हज करने वाले को हाजी कहा जाता है. साथ ही हज यात्रा के दौरान कुछ नियमों का पालन करना होता है. जैसे- पुरुष पहले चरण में हाजी इहराम बांधते हैं. यह एक सफेद कपड़ा होता है, जिसे पहनना जरूरी होता है. वहीं महिलाएं हिजाब के नियमों का पालन करते हुए कोई भी सादा कपड़ा पहन सकती है.
काबा की 7 परिक्रमा
हज में हाजी को सात बार काबा के चक्कर लगाने होते हैं. इसके बाद सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच भी सात बार चक्कर लगाए जाते हैं. फिर हाजी मक्का से आठ किलोमीटर दूर मीना शहर में इकट्ठा होकर रात में नमाज अदा करते हैं. इसके बाद माउंट अराफात में हाजी अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं.
शैतान को मारते हैं पत्थर
हज पर जाने वाले लोग मीना में जमारात पर पत्थर फेंकते हैं. इसे शैतान कहा जाता है. यह ईद-अल-अधहा ईद का पहला दिन होता है. इसके बाद पुरुष हाजी अपना मुंडन कराते हैं या बाल काटते हैं.
मनाते हैं ईद
हज यात्रा पूरी करके मक्का से रवाना होने से पहले सभी हाजियों को आखिरी बार तवाफ (परिक्रमा) करनी पड़ती है. फिर हज यात्रा के अंतिम दिन ईद-अल-अजहा मनाया जाता है. इस दिन जानवर की कुर्बानी (बलि) दी जाती है और उसके मांस का एक हिस्सा गरीबों में बांटा जाता है.