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Chanakya Niti: चाणक्य नीति में रिश्तें, मित्रता, निजी जीवन, नौकरी, व्यापर, शत्रु आदि जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चाणक्य ने अपने विचार साझा किए है, चाणक्य कहते है इस मनिष्य जीवन को हमें सार्थक बनाना चाहिए. मनुष्य की तरक्की इस बात पर निर्भर करती है की वो किस स्थान पर रहता है, चाणक्य ने लिखा है की अगर ब्यक्ति बिना सोचे समझे किसी भी जगह पर रहने लगता है तो उसकी मुश्किलें बढ़ जाती है। चाणक्य नीति में चाणक्य ने बताया है की मनुष्य को कहां रहना चाहिए और कहां नहीं, इसके अलावे कैसे स्थान से तुरंत हट जाना चाहिए…
यस्मिन देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बांधव:।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।।
मान-सम्मान
चाणक्य नीति के अनुसार जिस स्थान पर मनुष्य को मान-सम्मान न मिले ना कोई आदर करे, ऐसे स्थान पर कभी भी नहीं रुकना चाहिए। जहां ब्यक्ति का अनादर, सम्मान न हो वो जगह व्यक्ति के रहने लायक नहीं हो सकता, इससे उसकी छवि खराब हो सकती है.
रिश्तेदार
चाणक्य नीति के अनुसार जिस जगह आपका कोई रिश्तेदार या दोस्त रहता हो वहाँ कभी न रहे तुरंत त्याग दें ऐसे स्थान को, क्योकि जरुरत पड़ने पर आपके रिस्तेदार या मित्र ही साथ खड़े होते है.
शिक्षा
चाणक्य नीति के अनुसार जिस जगह पढ़ाई-लिखाई को महत्व न दिया जाता हो, जहाँ शिक्षा के साधनों की कमी हो, उस स्थान पर रहना व्यर्थ है. क्योंकि ज्ञान के बिना जीवन अधूरा है. ऐसे स्थान पर बच्चों का जीवन भी प्रभावित होता है.
गुण
समय के साथ-साथ मानसिक विकास भी बहुत जरुरी है. समय-समय पर कुछ सीखने से ही बुद्धि में वृद्धि होती है. जिस जगह आपके सीखने लायक कुछ न हो उस स्थान को भी त्यागना ही अच्छा है. क्योंकि इससे आपका विकास रुक सकता है और बाकियों से आप पीछे रह सकते हैं.