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चंडीगढ़: गुटों में बंटी हरियाणा कांग्रेस को एकजुट करने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोर्चा संभाला है। सबसे पहले खरगे ने लोकसभा की टिकट कटने से नाराज नेताओं की क्लास ली। खरगे ने एक-एक करके चारों नाराज नेताओं किरण चौधरी, कैप्टन अजय यादव, करण दलाल और चौधरी बीरेंद्र सिंह को फोन किए और उनको एकजुटता का पाठ पढ़ाया। इतना ही नहीं, सभी नेताओं को लोकसभा चुनावों के साथ-साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी के निर्देश भी दिए गए हैं।
इसके बाद खरगे ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सिरसा से प्रत्याशी कुमारी सैलजा को भी फोन किए। दोनों नेताओं को गुटबाजी खत्म कर एक-दूसरे की मदद और प्रचार के लिए सख्त संदेश दिया गया है। संभावना है कि आने वाले दिनों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा कुमारी सैलजा के लिए सिरसा में वोट मांगेंगे और कुमारी सैलजा अंबाला से प्रत्याशी वरुण मुलाना के लिए कैंपेनिंग करेंगी। सैलजा अंबाला से दो बार सांसद चुनी गई हैं और उनका अंबाला में खासा प्रभाव है।
लोकसभा की टिकट कटने से यूं तो आधा दर्जन से अधिक नेता प्रदेश कांग्रेस और हाईकमान से नाराज हैं। इनमें सबसे पहला नाम किरण चौधरी का है, क्योंकि भिवानी से उनकी बेटी का टिकट काटा गया है। दूसरा नाम चौधरी बीरेंद्र सिंह का हैं। उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को भी टिकट नहीं दी गई। फरीदाबाद से करण दलाल और गुरुग्राम से कैप्टन अजय यादव के नाम प्रमुख तौर पर शामिल हैं। खास बात ये है कि इनमें से करण दलाल को छोड़ दें तो शेष तीनों नेता हुड्डा खेमे के विरोधी हैं। इनके अलावा बेटे चाणक्य को टिकट नहीं मिलने पर पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा भी नाराज थे, लेकिन उनको हुड्डा ने मना लिया है।
टिकट आवंटन के तुरंत बाद चारों नेताओं ने एक एक करके अपने समर्थकों की बैठकें बुलाईं और खुलकर नाराजगी जाहिर की। क्योंकि इन नेताओं को पूर्व सीएम हुड्डा या प्रदेशाध्यक्ष उदयभान नहीं मना सकते थे, इसलिए हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया ने गेंद हाईकमान के पाले में डाल दी। गुटबाजी से नाराज हाईकमान ने इसे गंभीरता से लिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक-एक करके चारों नेताओं को न केवल फोन किया, बल्कि अपने-अपने हलके में प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मेदारी भी दी।
सूत्रों का यह भी दावा है कि हरियाणा में हुड्डा और एसआरके गुटबाजी के चलते भी पार्टी को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए खरगे ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा को भी फोन किया। हुड्डा और प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने अभी तक सिरसा से दूरी बनाई हुई है, वह न तो कुमारी सैलजा के नामांकन में सिरसा गए और न अभी तक उन्होंने यहां के लिए अपना कार्यक्रम तय किया है। हाईकमान ने इस मामले पर भी संज्ञान लिया और हुड्डा को सिरसा में सैलजा के लिए प्रचार करने के लिए कहा। साथ ही कुमारी सैलजा को अंबाला से प्रत्याशी वरुण मुलाना के लिए प्रचार करने को जिम्मेदारी दी है।
अंबाला में सैलजा का प्रभाव
कुमारी सैलजा अंबाला से 2004 और 2009 में लोकसभा सांसद रही हैं। सैलजा का यहां खासा प्रभाव है और अंबाला से सांसद रहते वह केंद्र में मंत्री भी रही थीं। दूसरा, कालका से विधायक प्रदीप चौधरी, नारायणगढ़ से विधायक शैली चौधरी और साढौरा से विधायक रेणु बाला सैलजा के समर्थक माने जाते हैं, जबकि वरुण मुलाना हुड्डा खेमे के माने जाते हैं। हालांकि, मुलाना किसी भी गुटबाजी से दूर हैं और गैर विवादित चेहरा हैं। इसलिए हाईकमान ने कुमारी सैलजा को अंबाला में मुलाना के प्रचार को धार देने की भी जिम्मेदारी सौंपी है। हालांकि, सैलजा के समर्थक पहले से मुलाना का साथ दे रहे हैं।
सिरसा में हुड्डा और सैलजा समर्थक हो चुके आमने-सामने
अभी तक पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने सिरसा से दूरी बनाई हुई है। सैलजा के नामांकन के वक्त रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी और चौधरी बीरेंद्र सिंह मौजूद रहे थे। अब तक हुड्डा के समर्थक कुमारी सैलजा के साथ में नहीं आए हैं और वह उनके कार्यक्रमों से दूर हैं। इतना ही नहीं समैण गांव में तो हुड्डा और सैलजा के समर्थकों में धक्का-मुक्की और मारपीट की नौबत तक आ गई थी। हाईकमान के पास जब यह रिपोर्ट पहुंची तो उन्होंने हरियाणा के बड़े नेताओं को गुटबाजी से बचने के लिए आगाह किया है। संभावना है कि आगामी दिनों में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रैली में सभी नेता एक मंच पर दिखें।