सैनी सरकार में कभी भी हो सकता है प्रशासनिक फेरबदल, CM ने केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल से की चर्चा

Administrative reshuffle can happen anytime in Saini government, Naib Singh discussed with Union Minister Manohar Lal
Administrative reshuffle can happen anytime in Saini government, Naib Singh discussed with Union Minister Manohar Lal
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चंडीगढ़ : लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद हरियाणा सरकार अब बड़े स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल करने जा रही है। इनमें प्रशासनिक सचिवों के अलावा कई जिलों के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इस सिलसिले में सीएम नायब सिंह सैनी की केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल से भी बात हो चुकी है। शुक्रवार रात मनोहर लाल चंडीगढ़ में थे। दोनों की मुलाकात के बाद राज्य सरकार अफसरों के तबादलों का खाका तैयार करने में जुट गई है। माना जा रहा है कि अब कभी भी अफसरों की बदली हो सकती है।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लगातार चुनावी रैलियों में अफसरों को निशाने पर लेते रहे हैं। वहीं, चुनाव के बाद भी उन्होंने और केंद्रीय मंत्री व पूर्व सीएम मनोहर लाल ने भी कुछ अफसरों के रवैये पर सवाल खड़े किए थे। उसके बाद से अफसरों के तबादले तय माने जा रहे थे। मनोहर लाल साढ़े नौ साल तक राज्य के सीएम रहे हैं। वह राज्य के अफसरों की क्षमताओं के बारे में पूरी तरह से वाकिफ हैं।

इसीलिए सीएम ने इस बारे में अपने राजनीतिक गुरु व पूर्व सीएम मनोहर लाल से रायशुमारी की है। उधर, चंडीगढ़ प्रशासन ने भी हरियाणा सरकार से गृह सचिव व उपायुक्त का पैनल मांग लिया है। चंडीगढ़ के गृह सचिव नितिन यादव की तैनाती केंद्र में हो गई है। ऐसे में हरियाणा के वरिष्ठ अफसरों की नियुक्ति चंडीगढ़ में हो सकती है।

गृह सचिव की दौड़ में दो वरिष्ठ आईएस का नाम
चंडीगढ़ गृह सचिव की दौड़ में दो वरिष्ठ आईएएस का नाम बताया जा रहा है। इनमें वरिष्ठ आईएएस डा. अमित कुमार अग्रवाल व जनसंपर्क और भाषा विभाग के महानिदेशक मंदीप सिंह बराड़ का नाम शामिल है। बराड़ चंडीगढ़ के उपायुक्त भी रह चुके हैं। हालांकि हरियाणा सरकार की ओर से अभी पैनल नहीं भेजा गया है। तीन अफसरों का पैनल भेजा जाना है।

सीआईडी कर्मचारियों के हुए तबादले
उधर, गुप्तचर विभाग ने फील्ड में तैनात 26 कर्मचारियों के तबादले कर दिए। यह आदेश एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (एडीजीपी सीआईडी) आलोक मित्तल की ओर से जारी किए गए हैं। बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान सरकार को इस बार फील्ड से सही रिपोर्ट नहीं मिली थी। यह मुद्दा भाजपा की चुनाव समीक्षा के दौरान भी मुद्दा उठा था।