यूपी के लिए बड़ी खुशखबरी, पूरे प्रदेश को मिलेगी सस्ती बिजली, जाने कैसे उठाया फायदा

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग (UPSERC) ने बिजली दरों (Power Tariff) में कमी कराने की राज्य उपभोक्ता परिषद की याचिका पर पावर कॉर्पोरेशन (Power Corpoation) से रिपोर्ट मांगी है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि आयोग ने पावर कॉर्पोरेशन को आज एक बार फिर एक पत्र भेजकर राज्य की बिजली कंपनियों पर बकाया विद्युत उपभोक्ताओं के 20,596 करोड़ रुपये के एवज में उपभोक्ता परिषद की याचिका पर बिजली दरों में कमी कराने की मांग पर अविलंब एक विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।

बड़ा सवाल ये है कि इस रिपोर्ट के मिलने के बाद विद्युत नियामक आयोग बिजली सस्ती करने पर निर्णय लेगा या महंगी करेगा? क्योंकि हाल ही में नियामक आयोग ने प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों ने अगले 10 दिन में स्लैबवार टैरिफ प्लान दाखिल करने को कहा है। खबरें ये भी आ रही हैं कि जून महीने से बिजली दरों का बढ़ना तय है। बता दें पिछले तीन साल से यूपी में बिजली दरें बढ़ी नहीं हैं। वहीं पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में बिजली दर बढ़ाने का फैसला लिया गया है।

दरअसल अवधेश वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष आर.पी. सिंह से मुलाकात कर एक प्रत्यावेदन सौंपते हुए मांग उठाई कि राज्य की बिजली कंपनियों द्वारा उदय योजनाओं के मद में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को 20,596 करोड़ रुपये का लाभ नहीं दिया गया है। ऐसे में आयोग का नैतिक दायित्व और कानूनन बाध्यता भी है कि सरप्लस निकलने पर उसका लाभ प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को दिया जाए।

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने मंगलवार को दाखिल लोक महत्व प्रत्यावेदन पर अपने लोग महत्व प्रत्यावेदन में यह मुद्दा उठाया है कि जब प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का सरप्लस पैसा निकल रहा है उसमें से बिजली कंपनियां अपना गैप रुपया 6700 करोड घटा लें, इसके बावजूद भी उपभोक्ताओं का सरप्लस रुपया 13,896 करोड़ निकल रहा है। ऐसे में बिजली दरों में कमी करने के लिए कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जा रही है? ऐसे में विद्युत नियामक आयोग अविलंब कार्रवाई शुरू कराएं।

उन्होंने बताया कि उपभोक्ता परिषद की याचिका पर आयोग ने पावर कारपोरेशन से सितंबर 2021 में जवाब मांगा था, जो आज तक दाखिल नहीं किया गया, यह बहुत ही गंभीर मामला है। अवधेश वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का भी नैतिक दायित्व बनता है कि सरकार प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी कराने के लिए आगे आए और विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत विद्युत नियामक आयोग को भी जनहित में निर्देश देकर बिजली दरों में कमी कराने का रास्ता साफ करे, जिससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की लंबे समय से लंबित बिजली दरों में कमी की याचिका पर निर्णय हो सके और प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को उसका लाभ मिल सके।