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पटना: औरंगाबाद में सड़कों के रखरखाव के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। यह रहस्योद्धाटन करते हुए भाजपा के वरीय नेता और पूर्व सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह ने कहा कि बहुत बड़े इस घोटालें को विभागीय अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। मेरा दावा है कि जांच होने पर करोड़ों रुपये का बड़ा घोटाला सामने आएगा। उन्होने कहा कि वित्तीय वर्ष 2019-20 से अबतक ग्रामीण सड़कों की न तो मरम्मत की गई है और न ही बरसात के दौरान सड़कों के किनारे उगने वाले झाड़-झखाड़ की ही कटाई कराई की गई है। धरातल पर इसे देखा जा सकता है।
कागजों में हो रहा सड़कों का मेंटेनेंस
हकीकत यह है कि कागजों में यह कार्य पूरा दिखाया गया है और करोड़ों का घोटाला किया गया। घोटालें में ग्रामीण कार्य विभाग और पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की गहरी मिलीभगत है। इस मिलीभगत से पिछले चार सालों से लगातार इस घोटालें को अंजाम दिया जा रहा है और गामीण सड़कें बदहाल है। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र औरंगाबाद विधानसभा क्षेत्र की सड़कों का नाम गिनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी ग्रामीण सड़कों का पिछले चार साल से मेंटेनेंस नही कर कागजों में रखरखाव दिखा कर घोटाला किया गया है। कहा कि इब्राहिमपुर से बाकन-नेहुटी भाया पहरमा, हरिहरगंज से मेहंदिया, रजोई रोड से बिगहा, सोखेया से रजोई, नौगढ़ से बिसैनी, बिसैनी से भेड़ियां, अकौना मोड़ से सोखेया भाया इंदा बिगहा, इबनपुर रोड, पोखराहा मोड़ से जीटी रोड भाया पोईवां, हरिहरगंज से मेहंदिया एवं पोईवां मोड़ से वार आदि सड़कों के मेंटेनेंस के नाम घोटाला किया गया है। यह घोटाला सिर्फ औरंगाबाद विधानसभा क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि इसका दायरा और जाल पूरे औरंगाबाद जिले में फैला हुआ है।
ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता ने दी सफाई
इस बारे में पूछे जाने पर ग्रामीण कार्य विभाग के अधीक्षण अभियंता मो. अरशद ने कहा कि सड़कों का रखरखाव हो रहा है, तभी तो सड़कों पर आवागमन हो रहा है। सड़कों के खराब होने पर जहां शॉर्ट पैच की जरूरत होती है, वहां पैच किया जाता है। यह काम निरंतर चलता रहता है। बरसात के दिनों में थोड़ी दिक्कत होती है लेकिन बरसात बात मरम्मत और झाड़-झखाड़ की सफाई करा दी जाती है। कहा कि हो सकता है कि कुछ सड़कों की मरम्मत नहीं हुई हो और तकनीकी कारणों से ठेकेदार को इसके लिए समय दिया गया हो। जिन सड़कों की मरम्मत नहीं हुई है, उनकी मरम्मत कराई जाएंगी। यह पूछे जाने पर कि विभाग द्वारा सड़कों के मेंटेनेंस के नाम पर कितनी राशि खर्च की गई है, इस पर विभाग के बड़े अधिकारी होने के बावजूद उन्होंने पल्ला झाड़कर नीचे के अधिकारियों पर थोपते हुए कहा कि यह मामला डिविजन का है। डिविजन के एकाउंटेंट और कैशियर ही बता सकते हैं कि सड़कों के रखरखाव के लिए कितनी राशि आवंटित हुई है और अबतक कितनी खर्च हुई है। इन बातों से साफ है कि अधीक्षण अभियंता इतने गंभीर मामले को इस कारण हल्के में ले रहे हैं क्योंकि मामला उनके विभाग का है और मामले की जांच होती है तो जांच की आंच उन तक भी पहुंच सकती है।