9 साल तक मां के पेट में फंसा रहा बच्चा, डॉक्टर्स को दिखाया तो वो भी रह गए हैरान, आखिरकार…

Child trapped in mother's stomach for 9 years, when shown to doctors, they were also surprised, finally...
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आमतौर पर प्रेग्‍नेंसी के नौवें या दसवें महीने में बच्‍चा हो जाता है. कुछ मामलों में सातवें या आठवें महीने में भी डिलीवरी होती है. पर अगर किसी मह‍िला को प्रेग्‍नेंट होने के बाद नौ साल तक बच्‍चा न हो तो आप क्‍या कहेंगे? हैरान होंगे ना. जी हां, अमेरिका में एक महिला नौ साल तक बच्‍चे को पेट में लेकर घूमती रही. बच्‍चा पैदा ही नहीं हुआ. डॉक्‍टर को दिखाया तो वे भी हैरान रह गए. आखिरकार इसकी वजह से मह‍िला को एक दुर्लभ बीमारी हुई और उसकी मौत हो गई. आइए जानते हैं कि क्‍या है पूरी कहानी.

मूल रूप से कांगो की रहने वाले यह मह‍िला नौ साल पहले प्रेग्‍नेंट हुई. मगर 28वें हफ्ते में उसे महसूस हुआ कि बच्‍चा अब ह‍िल डुल नहीं रहा है. भ्रूण का विकास बंद हो गया था. तब मिसकैरिज हो जाना था लेकिन नहीं हुआ. डॉक्‍टर को दिखाया तो उन्‍होंने कहा कि बच्‍चे की सांसें थम चुकी हैं. कुछ दवाइयां लिखीं. कहा-इससे गर्भपात हो जाएगा. नहीं तो दो हफ्ते बाद आकर दिखा लेना. पर जब मह‍िला क्‍ल‍िन‍िक से घर लौट रही थी तो लोगों ने उसे भला बुरा कहा. डायन कहकर ताने दिए. मह‍िला इतनी परेशान हुई कि वह मंदिर चली गई और भगवान से प्रार्थना करने लगी. वहीं, उसने तय किया कि बच्‍चे की कभी सर्जरी नहीं कराएगी.

पत्‍थर की तरह हो गया बच्‍चा
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिन पहले ही वह अमेरिका आई; एक दिन अचानक उसके पेट में ऐंठन, अपच की दिक्‍कत महसूस होने लगी. तेज दर्द होने लगा. वह भागकर अस्‍पताल पहुंची. डॉक्‍टरों ने स्‍कैन किया तो हैरान रह गए. मह‍िला के पेट में भ्रूण अभी भी मौजूद था. वह पत्‍थर की तरह हो गया था और आंतों के पास फंसा हुआ था. इससे आंत सिकुड़ गई थी. जो कुछ भी वह खाती थी, पचता नहीं था और मह‍िला कुपोषण की शिकार हो गई. आखिरकार कुछ दिनों पहले ही उसकी मौत हो गई.

दुनिया में सिर्फ 290 मामले सामने आए
डॉक्‍टरों ने बताया कि जब भ्रूण गर्भाशय की जगह पेट में विकसित होने लगे तो यह स्‍थ‍ित‍ि पैदा होती है. साइंस की भाषा में इसे लिथोपेडियन कहा जाता है. बच्‍चे तक खून की पर्याप्‍त आपूर्ति नहीं हो पाती और उसका विकास बंद हो जाता है. ऐसी स्थित‍ि में बॉडी भ्रूण को बाहर नहीं निकाल पाती. क्‍योंकि वह गलत जगह बना होता है. यह दुर्लभ घटना है. पूरी दुनिया में अब तक सिर्फ 290 बार ऐसे मामले रिपोर्ट किए गए हैं. पहली बार फ्रांस में 1582 में इस तरह की घटना दर्ज की गई थी. यह

क्‍यों बनती है ऐसी स्थिति
घटना तब होती है जब गर्भ के बाहर विकसित होने वाला भ्रूण गर्भावस्था के दौरान मर जाता है और शरीर से बाहर नहीं निकलता. भ्रूण पर कैल्‍श‍ियम की एक परत जम जाती है और धीरे-धीरे यह एक पत्‍थर की तरह नजर आने लगता है. इसे स्‍टोन बेबी भी कहा जाता है. यह गर्भावस्था की कई जटिलताओं में से एक है जिसका मां के स्वास्थ्य पर गंभीर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है. कई बार मां की हार्ट अटैक से मौत तक हो सकती है. हालांकि, कई मह‍िलाएं दशकों तक ऐसे जिंदा रह सकती हैं. लेकिन सबसे अच्‍छा तरीका है कि ऑपरेशन कर भ्रूण को तुरंत बाहर निकाल दिया जाए.