50 साल में पहली बार कैप्चर हुई सूरज की फुल इमेज, इस गहरे रहस्य से उठेगा पर्दा

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नई दिल्ली: सूर्य के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए फरवरी 2020 में लॉन्च किए गए सोलर ऑर्बिटर ने सूर्य की पहली कंप्‍लीट इमेज को कैप्चर किया है. सूर्य के बाहरी वातावरण कोरोना की अब तक ली गई ये हाई रेजोल्यूशन वाली इमेज है.

सूर्य का रहस्य पता लगाने के लिए भेजा था सोलर ऑर्बिटर
Metro की खबर के अनुसार, यूके स्पेस एजेंसी ने दो साल पहले जिस सोलर ऑर्बिटर को सूर्य का रहस्य पता लगाने के लिए भेजा था, उसने 7 मार्च को सूर्य की कुछ चौंकाने वाली तस्वीर ली. ये तस्वीर extreme ultraviolet imager (ईयूआई) द्वारा ली गई थी.

अभी तक की सूर्य की सबसे स्‍पष्‍ट इमेज
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) ने कहा कि ये इमेज कोरोनल पर्यावरण (स्पाइस) उपकरण की स्पेक्ट्रल इमेजिंग द्वारा ली गई है, जो 50 सालों में अपनी तरह की पहली पूर्ण सूर्य इमेज का प्रतिनिधित्व करती है. ये अब तक की सबसे अच्छी इमेज है.

यूके स्पेस एजेंसी में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रमुख कैरोलिन हार्पर ने कहा, “यह सोलर ऑर्बिटर के लिए एक रोमांचक बात है जो अब बुध की तुलना में सूर्य के और भी करीब है. वह सौर वातावरण के बारे में स्पष्ट इमेजेस और डेटा को कैप्चर कर रहा है.”

सूर्य पर हो रहे विस्फोट को कर रहे वॉच
बता दें कि सूर्य को इतने विस्तार से देखने से वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह और उसके वातावरण में शक्तिशाली विस्फोटों और अन्य घटनाओं की उत्पत्ति का पता लगाने में मदद मिलेगी. इससे वे बेहतर ढंग से समझ सकें कि वे सूर्य की सतह पर होने वाले विस्फोट अंतरिक्ष के मौसम में कैसे योगदान करते हैं.

पूरी छवि को कैप्चर करने में चार घंटे से अधिक लगे
EUI द्वारा ली गई पूरी छवि को कैप्चर करने में चार घंटे से अधिक समय लगा क्योंकि इसमें सूर्य के विभिन्न हिस्सों की कई छवियों को एक साथ जोड़ने की आवश्यकता होती है और इसका रिजॉल्यूशन 4Kटीवी स्क्रीन की तुलना में 10 गुना बेहतर होता है. सूर्य के किनारों पर दो बजे और आठ बजे की स्थिति में गहरे रंग के तंतु सतह से दूर प्रक्षेपित होते देखे जा सकते हैं.

छवियों के स्पाइस अनुक्रम में बैंगनी 10,000C के तापमान पर हाइड्रोजन गैस, नीले 32,000C पर कार्बन, हरे 320,000C पर ऑक्सीजन, पीले 630,000C पर नियॉन से मेल खाती है. आमतौर पर जब आप किसी गर्म वस्तु से दूर जाते हैं तो तापमान गिर जाता है लेकिन सूरज के ऊपर कोरोना का तापमान एक लाख डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है जबकि सतह का तापमान केवल 5 हजार डिग्री सेंटीग्रेड रहता है. इस रहस्य की पड़ताल करना सोलर ऑर्बिटर के प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्यों में से एक है जिसे फरवरी 2020 में लॉन्च किया गया था.