कोरोना से उबरने के बाद गहलोत सरकार कर रही बड़ी तैयारी, आप भी जाने

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जयपुर। राज्य की गहलोत सरकार एक बार फिर देशी और विदेशी निवेशकों को प्रदेश में निवेश करने के लिए आकर्षित करने की कवायद में है। इसके लिए जल्द ही इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाएगा। इस बारे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी उद्योग विभाग के अफसरों को तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। सब कुछ तय दिशा में चला तो अगले साल के जनवरी या फरवरी महीने में इन्वेस्टर्स समिट आयोजित किया जाएगा।

दरअसल, मुख्यमंत्री गहलोत ने गुरुवार को उद्योग विभाग की एक समीक्षा बैठक के दौरान इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करने में दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने अधिकारियों से कहा किकोविड संक्रमण काल के दौरान प्रदेश में ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी निवेश को लेकर प्रतिकूल परिस्थितियां बनी। लेकिन अब जब संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं तो इस दिशा में फिर से सकारात्मक नतीजे आने की उम्मीद जगी है।

मुख्यमंत्री गहलोत ने उद्योग विभाग के अफसरों से कहा कि हालिया कोविड परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आगामी जनवरी-फरवरी माह में प्रदेश में एक इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करने की तैयारी की जाए। यह इन्वेस्टर्स समिट निवेशकों के समक्ष राज्य सरकार द्वारा किए गए नीतिगत सुधारों की शो-केसिंग करेगा। साथ ही ये निवेशकों को प्रदेश में मिल रही सुविधाओं की जानकारी देने का महत्वपूर्ण अवसर होगा।

गहलोत ने कहा है कि पिछले ढाई वर्ष के दौरान राज्य सरकार ने प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियां एवं कार्यक्रम लागू किए हैं। इनमें राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (रिप्स-2019), एमएसएमई एक्ट-2019, राजस्थान इंडस्टि्रयल डवलपमेंट पॉलिसी-2019, वन स्टॉप शॉप प्रणाली शामिल हैं। इन नीतिगत सुधारों से राजस्थान में उद्यमिता और निवेश के प्रति बेहद सकारात्मक माहौल बना है। उन्होंने निर्देश दिए कि इन योजनाओं और नीतियों की अधिकाधिक जानकारी अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय निवेशकों तक पहुंचाया जाए, ताकि प्रदेश में निवेश को आकर्षित किया जा सके।

कोविड-19 की विषम परिस्थितियों के बीच वर्ष 2020-21 में राज्य का निर्यात 52 हज़ार 764 करोड़ रूपए का रहा, जो गत वर्ष की तुलना में 5.6 प्रतिशत अधिक था। यह तथ्य इस दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण है कि इस अवधि में देश के कुल निर्यात में 2.3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
मुख्यमंत्री ने उद्योग विभाग के अफसरों को रीको के माध्यम से प्रदेश में उपखण्ड स्तर पर स्थानीय विशेषताओं के अनुरूप औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए विशेष रूप से ऐसे क्षेत्रों पर फोकस किया जाए, जो अब तक विकास में पिछड़े माने जाते हैं। इसके माध्यम से स्थानीय स्तर पर लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योग लगेंगे और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों तथा सामाजिक क्षेत्र के लिए ऋण सुविधा प्रदान करने वाली राज्य सरकार की ऋण वितरण एजेंसियों राजस्थान वित्त निगम, अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम तथा अनुसूचित जाति, जनजाति वित्त एवं विकास सहकारी निगम आदि की भूमिका में समय के साथ बदलाव आया है। ऎसे में इन संस्थाओं को अपनी ऋण योजनाओं को अधिक तर्कसंगत एवं आकर्षक बनाने की आवश्यकता है, ताकि स्वरोजगार एवं उद्यम स्थापित करने के लिए लाभार्थियों को ऋण सुलभ हो सके।