जयपुर। आंतरिक असंतोष से जूझ रहे कांग्रेस आलाकमान के समक्ष राजस्थान को लेकर नई चुनौती उत्पन्न हो सकती है। अशोक गहलोत सरकार के आधे से ज्यादा मंत्रियों के प्रति विधायकों की बढ़ती नाराजगी, विधानसभा के बजट सत्र के दौरान खराब प्रदर्शन और अधिकारियों के हावी होने के मुद्दे को लेकर राजस्थान कांग्रेस में नया संकट उत्पन्न हो सकता है। एक तरफ जहां विधायक मंत्रिमंडल में फिर से फेरबदल कर खराब प्रदर्शन वाले मंत्रियों को हटाने को लेकर दबाव बना रहे हैं। वहीं, सचिन पायलट खेमे के मंत्री और विधायक अफसरों द्वारा सुनवाई नहीं करने से नाराज हैं। 28 मार्च को विधानसभा का सत्र समाप्त होने के बाद पायलट खेमा दिल्ली जाकर आलाकमान के समक्ष अपनी बात रख सकता है। गहलोत सरकार का पौने चार साल का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद अब तक विधानसभा में उपाध्यक्ष नहीं बनाए जाने से भी विधायकों में नाराजगी है।
कई बार सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट गड़बड़ाया
नाराज विधायक अब सरकार पर आक्रामक होने लगे हैं। इससे सरकार की सबसे ज्यादा फजीहत विधानसभा में हो रही है। भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के विधायक ही मंत्रियों की कार्यशैली को लेकर निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा, अमिन खान, रामनारायण मीणा, सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा खुलकर मंत्रियों को अक्षम बता चुके हैं। विधायक मदन प्रजापत अपने निर्वाचन क्षेत्र पचपदरा को जिला नहीं बनाने से नाराज होकर नंगे पैर घूम रहे हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों द्वारा ही मंत्रियों के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने से कई बार सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट गड़बड़ा गया। मंत्रिमंडल और राजनीतिक नियुक्तियों में पद नहीं मिलने से वंचित विधायक हर दिन अपनी ही सरकार के मंत्रियों को घेर रहे हैं। अमिन खान ने 24 फरवरी को विधानसभा में बजट पर बहस के दौरान कहा था कि मुसलमान कांग्रेस के पक्ष में 99 फीसद मतदान करते हैं, लेकिन उन्हे इंसााफ नहीं मिलता है। मंत्रियों की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा था, अपनी आदत बदलो नहीं तो चाोट खा जाओगे। दिव्या मदेरणा ने जलदाय मंत्री महेश जोशी की विभाग पर पकड़ नहीं होने की बात विधानसभा में कही। रामनारायण मीणा कई बार मंत्रियों के लिए असहज स्थिति उत्पन्न कर चुके हैं। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ तो कई विधायक विधानसभा के अंदर और बाहर नाराजगी जता चुके हैं। संयम लोढ़ा लगभग हर दिन मंत्रियों पर किसी न किसी मुद्दे को लेकर निशाना साधते रहते हैं।