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बिलासपुर। भानुपल्ली-बिलासपुर रेललाइन के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा दूर कर ली गई है. सरकार व ग्रामीणों के बीच हुए मोलभाव के बाद तीन गांवों में भूमि अधिग्रहण की दर तय हो गई है. टाली, दगड़ाहन और भटेड़ गांव के लोग भी राजी हो गए हैं. अब बध्यात तक करीब 20 गांव की भूमि का अधिग्रहण एसआइए स्टडी के अनुसार होगा. इन गांव में 250 बीघा भूमि का अधिग्रहण होना है. सोलेसियम (क्षतिपूर्ति राशि) समेत भूमि मालिकों को 52 लाख रुपये प्रति बीघा के हिसाब से भुगतान होगा.
नौ गांव की सामाजिक प्रभाव आकलन की रिपोर्ट तैयार
हिमाचल प्रदेश के भानुपल्ली-बिलासपुर रेललाइन के लिए बध्यात तक 52 किलोमीटर और भानुपल्ली से बैरी तक 63 किलोमीटर इस लंबी रेललाइन के निर्माण को तय समय सीमा में पूरा करने के लिए न केवल रेल विकास निगम बल्कि जिला प्रशासन भी जोरशोर से कार्य कर रहा है. बध्यात से बैरी तक करीब 35 गांव के लोगों से रेललाइन में अधिग्रहीत होने वाली जमीन के भाव पर प्रशासन की बात नहीं बन रही थी. बध्यात तक 26 गांव की सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट (एसआईए)सरकार को जा चुकी है. वहीं बध्यात से आगे के नौ गांव की सामाजिक प्रभाव आकलन की रिपोर्ट तैयार करने के लिए एजेंसी जल्द ही कार्य शुरू करेगी. इसी बीच अब बध्यात से पीछे के तीन और गांव के लोग आपसी मोलभाव कर जमीन अधिग्रहण के लिए मान गए हैं. एसडीएम बिलासपुर ने टाली, दगड़ाहन और भटेड़ गांव की 250 बीघा भूमि की फाइल तैयार कर उपायुक्त को सौंपी है और उपायुक्त ने इसे सरकार को अप्रूवल के लिए भेज दी.
जमीन एसआईए स्टडी के तहत अधिग्रहीत होगी
तीनों गांव के भू मालिकों को मुआवजे (सोलेसियम) समेत प्रति बीघा भूमि का 52 लाख रुपये दाम निर्धारित किया गया. जिन लोगों की जमीन एसआईए स्टडी के तहत अधिग्रहीत होगी उन्हें 34 लाख रुपये प्रति बीघा के हिसाब से जमीन के दाम मिलेंगे. एसडीएम बिलासपुर सुभाष गौतम ने कहा कि उन्होंने तीनों गांव के जमीन की फाइल उपायुक्त बिलासपुर पंकज राय के माध्यम से सरकार को भेजी गई है. सरकार के अप्रूवल के बाद इसकी आगामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी. ताकि रेललाइन निर्माण के कार्य को समय से पूरा कराया जा सके.